For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रानी (लघुकथा )जानकी बिष्ट वाही

"बेचारी ?"
सामने वाली झुग्गी में इस नई ब्याही को।पति रोज काम पर जाते बाहर से ताला ठोक जाता है जैसे उसकी दिल की रानी को कोई चोर न ले जाय पीछे से।
छुटकी, बड़की को देख फिस्स से हँस दी।
" उसकी नज़र से देखा जाय तो ये मेहरारू ही उसका धन है।गज़ब की सुंदर जो है ।"
बड़की ने हँसी में साथ दिया।

वे दोनों रोज उसकी खूबसूरत पनीली बड़ी-बड़ी आँखें छुपकर देखने का मोह नहीं छोड़ पाती हैं ।जब से वह आई है उनका नीरस जीवन सरस हो उठा है। वर्ना सारा दिन यूहीं निकल जाता है जब से पढ़ाई छुड़वाई बापू ने।

" हाय ! उसके पास कितने चमकदार कपड़े और जेवर हैं।देख-देख मन ललचता है। दीदी !"

" तो अम्मा और बापू से कहकर ब्याह रचवा ले अपना ,सब मिल जायेगा तुझे।"
बड़की ने चुहल की।
" कह तो दें दीदी ! पर तू जो बैठी है मेरे आगे ?अभी कहाँ अपन का नम्बर ?"

छुटकी ने चुटकी लेते हुए एक गहरी साँस भरने का नाटक किया।

" छुटकी ! एक बात बहुत बुरी लगती है, उसकी सुंदर आँखों में कितनी उदासी भरी रहती हैं वे कभी नहीं हँसती है।जाने किन ख्यालों में खोई रहती है। पता है ? अक्सर मुझे उन आँखों का दर्द अपना सा लगता है।वे आँखें मुझे बचपन में ले जाती हैं।जब माँ-बापू काम पर जाने से पहले हमें घर में बन्द कर जाते थे और वह उनके लौटने तक हम दोनों उदास आँखों से खिड़की के बाहर ताकती रहती थीं। एक दिन मैंने पूछा -
" माँ ! तुम क्यों हमें ताले में बन्द कर जाती हो? "
तो माँ बोली-" तू दोनों की सुरक्छा के लिए रानी बिटिया।"

" लगता है दीदी ! इस नवेली का पति भी येई बोलता होगा कि रानी ! तेरी सुरक्छा के वास्ते ताला मार के जाता हूँ।"

" मालूम नहीं रे ! ये मरद जाति अगर कुठरिया में बन्द कर रानी बनाये तो मुझे नहीं करना ऐसा ब्याह।पता चले इस नवेली की तरह ही सीलन भरे कमरे में बन्द कर जाए ? रानी -रानी बोल के ? काहे की रानी ?

मौलिक एवम् अप्रकाशित
जानकी बिष्ट वाही
29/9/17
नॉएडा-उत्तर प्रदेश

Views: 689

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mahendra Kumar on October 6, 2017 at 9:20pm

ग़ज़ब की लघुकथा है आ. जानकी वाही जी. शानदार व्यंग्य. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. 

"पर तू जो बैठी है मेरे आगे ?अभी कहाँ अपन का नम्बर ?" क्या यहाँ प्रश्नवाचक चिह्न होना चाहिए? देख लीजिएगा.

सादर.

 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on October 1, 2017 at 12:35pm

आदरणीया जानकी जी, बहुत सुंदर रचना , सुरक्षा के नाम पर मिली कैद का गम आंखें बयां कर रही है।  सादर

Comment by Rahila on October 1, 2017 at 6:21am
सोने के पिंजड़े में भी...,कैद तो कैद है।यहाँ तो पिजड़ा भी कालकोठरी जैसा।सच आज़ादी का स्वाद तो सबसे अनोखा होता है।बहुत बढ़िया रचना प्रिय दी!सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 30, 2017 at 10:13pm
आदरणीया जानकी जी बढ़िया रचना है बिना आजाद के किसी भी ऑख का कोई अर्थ नहीं है बच्चियों के मन में उठते बिचारों को शानदार तरीके से रोचक बनाते हुए लिखी इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 178 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार.…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत रोला छंदों पर उत्साहवर्धन हेतु आपका…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी छंदों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार "
6 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय गिरिराज जी छंदों पर उपस्थित और प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार "
6 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी छंदों की  प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार "
6 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय मयंक कुमार जी"
6 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
" छंदों की प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
6 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    गाँवों का यह दृश्य, आम है बिलकुल इतना। आज  शहर  बिन भीड़, लगे है सूना…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी,आपकी टिप्पणी और प्रतिक्रिया उत्साह वर्धक है, मेरा प्रयास सफल हुआ। हार्दिक धन्यवाद…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। उत्तम छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service