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खेल दिल का अजीब होता है.....संतोष

फ़ाइलातून मफ़ाइलुन फेलुन

खेल दिल का अजीब होता है
कौन किसके क़रीब होता है

प्यार मिलता,किसी को रुसवाई
अपना अपना नसीब होता है

काम आए बुरे समय में जो
वो ही सच्चा हबीब होता है

प्यार है जिसके पास वो इंसां
इस जहाँ में ग़रीब होता है

राज़ जिसको बता दिया दिल का
वो ही मेरा रक़ीब होता है
#संतोष
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by Mohammed Arif on October 29, 2017 at 7:38am
आदरणीय संतोष खिरवड़कर जी आदाब, बहुत ही उम्दा ग़ज़ल । हर शेर बढ़िया । दिली मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 26, 2017 at 6:41pm
इस बढ़िया रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर। प्यार है जिसके पास वो इंसां
इस जहाँ में ग़रीब होता है इस शेर से सहमत नहीं हो पा रहा हूँ आदरणीय

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