आँसुओं-सिंची आस्था
हर धूल भरी पगडण्डी पर अब मानो
फैले हैं पूर्तिहीन स्वप्नों के श्मशान
अकुलाते अनुभवों के कांटेदार गहन सत्य
तकलीफ़ भरे गड्ढों में चिन्ता की छायाएँ
रहस्यात्मक अहातों के उस पार
अन्धकार-विवरों में होगी यकीनन
अनबूझे सपनों की अनबूझी बेचैनी
लौट आएँगी अनायास असंतोष भरी
स्वाभाविक हमारी पुरानी वेदनाएँ
इस पर भी अनजाने-अनपहचाने, प्रिय
न जाने किस-किस आकाशीय मार्ग से
चली आती हैं झोली में सहज कभी-कभार
अपरिभाषणीये कोमल मामूली सचाईयाँ
हृदय-प्राण-सी सुकुमार खुशियाँ अपार
हमारे ज़िद्दी स्वप्नों के अर्थ व्यर्थ
किसी टूटी-बिखरी तस्वीर के टुकड़ों-से सही
धूप-तपी राहों पर धूल के कितने बगूले सही
पर उँंगली-पकड़ चलते बच्चे-सा विश्वास है मुझको
आज भी "तुम्हारे" सहज भोले विश्वास पर, प्रिय
प्राण-प्रिय, मेरी प्राण-स्वप्न
आ चल, मेरे साथ चल
अभी बाकी है मेरा पगलाया विश्वास
सुन मेरी बेचैन ज़िन्दगी
तू अभी किवाड़ बन्द न कर
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-- विजय निकोर
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
लक्ष्मण लडीवाला जी, मेरी रचना पर आने के लिए आभार, पर आपकी प्रतिक्रिया मेरी रचना पर नहीं थी, आप यहाँ पर पोस्ट कर बैठे।नमन।
//बहुत ही गूढ़ रचना जो शुरू से अंत तक पाठक को बाँधने में सफल होने के साथ चिंतन के लिए भी प्रेरित करती है //
रचना पर पुन: आने के लिए और मान देने के लिए आपका हृदयतल से आभार, आदरणीय आशुतोष जी। स्नेह बनाए रखें।
//जज़्बात को अल्फ़ाज़ का जामा पहनाकर आप जो कमाल करते हैं वो मुग्ध कर देता है और पाठक उसमें डूबता उभरता रहता है,बहुत ख़ूब जादुई सृजन //.....
भाई समर जी, आ्प मुझको इन शब्दों से जो मान देते हैं, मेरे लेखन को सराहते हैं, उस पर पूरा उतरने के लिए मैं अपनी रचनाओं में भावों को तोलता हूँ, शब्द-शब्द को तोलता हूँ, और आपके दिए मान को याद करता हूँ। हार्दिक आभार, आदरणीय समर जी।
आदरणीय विजय सर बहुत ही गूढ़ रचना जो शुरू से अंत तक पाठक को बाँधने में सफल होने के साथ चिंतन के लिए भी प्रेरित करती है इस शानदार रचना के लिए आपको ढेर सारी बधाई सादर
प्रणय भाव रचित नवगीत रचना के लिए हार्दिक बधाई डॉ. गोपाल नारायण जी
//आख़िरी पंक्ति ही अपने आप में एक पूर्ण कविता है . आपकी कवितायें मन को सहसा गीला कर देती है //
आपसे मिली यह सराहना मेरे लिए पारितोषिक है, आभार आदरणीय गोपाल नारायन जी।
//अंतर्मन के भावों का अनुपम सृजन .... सृजन का अंतिम पड़ाव सृजन के आत्मा है ... मजा आ गया//
रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय भाई सुशील जी।
//अद्भुत भावों का समावेश किया है//
रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय बृजेश जी
रचना की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार, आदरणीय नरेन्द्र्सिहं जी
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