For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

***खरबूजा*** राहिला(लघुकथा)

"अरे अम्माँ ! आपको अहमदाबाद वाले सिद्दीक साहब याद हैं ?"
"आपको जानकर खुशी होगी कि हमने जो दो फ्लैट पसंद किए हैं, उनमें से एक उनके ही पड़ोस में है।इनको तो वही जम रहा है।"
"क्या कह रही हो..! सिद्दीक यहाँ है? बड़ी भली बहू थी उसकी बहुत ही मुहब्बती।"
उसका ज़िक्र आते ही उनकी आँखों में आज भी मुहब्बत उमड़ आयी।
" बस तो फिर डिसाइड हो गया। उसे ही फाइनल कर लेते हैं।क्यों अम्माँ ? सही है न..!"
"और दूसरा वाला फ्लैट कैसा है?"अम्माँ ने प्रतिप्रश्न किया।
"वह भी बहुत बढ़िया है ।कम तो कोई नहीं। "
"तो फिर तुम लोग दूसरा वाला फ्लैट फाइनल कर लो।"वह पानदान का ढक्कन बंद करते हुए बोली। "क्यों अम्माँ !आप ऐसा क्यों कह रही हैं?क्या आप नहीं चाहती कि हमें अच्छे पड़ोसी मिलें। अभी तो आप उनकी बहू की बड़ी तारीफ कर रही थीं।"
"हाँ भई ,वह तारीफ के काबिल तो है इसलिए तारीफ़ कर रही थी।"
"तो फिर?"
वह हैरतजदा होकर अम्माँ का मुँह ताकने लगी । "लेकिन देखो बेटा! जिन पड़ोसियों से घरोवा ज्यादा हो वहाँ आदतों की एहतियात रखना जरा मुश्किल होता है। और संगत का असर तो आता ही है।" "मतलब...!मैं समझी नहीं, आप कहना क्या चाहती हैं अम्माँ ?"उसने दोनों भौंहें सिकोड़ते हुए पूछा।
"बेटा! दोराय नहीं कि वे शरीफ़ लोग हैं।और बहू का तो क्या कहूँ बेहद प्यारी और नेक बच्ची है।" "फिर?"
"लेकिन जब एक नेक औरत की आंखों में हर वक़्त नमी दिखाई दे, तो ऐसी औरत के शौहर से अपने शौहर को दूर रखने में ही भलाई समझो।"
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 821

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahila on November 11, 2017 at 8:34pm
प्रिय नीता दीदी!बहुत आभार रचना को वक़्त देने के लिए ।सादर
Comment by Rahila on November 11, 2017 at 8:33pm
आदरणीय कबीर साहब!आदाब,आपसे तो हर रचना पर हौसला मिलता है।इसके लिए तहे दिल से शुक्रिया।
Comment by Rahila on November 11, 2017 at 8:31pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय अजय सर जी!आपकी इतनी सुंदर टिप्पणी ने मन हर्ष से भर दिया। सादर आभार
Comment by Rahila on November 11, 2017 at 8:30pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सर जी!सादर नमन
Comment by Rahila on November 11, 2017 at 8:29pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय विजय सर जी!सादर
Comment by Rahila on November 11, 2017 at 8:28pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय गोपाल नारायण सर जी!सादर नमन
Comment by Rahila on November 11, 2017 at 3:44pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय गजेंद्र सर जी!सादर
Comment by Rahila on November 11, 2017 at 3:43pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय आरिफ़ सर जी!सादर
Comment by Rahila on November 11, 2017 at 3:40pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय मोहित जी!सादर
Comment by Nita Kasar on November 9, 2017 at 1:15pm
बड़ी ही धीर गंभीर बात कही है।बुज़ुर्गों की दूरदर्शी नज़रें सब जानती है ।बधाई आद० राहिला जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
1 hour ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
20 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service