शादी की महफिल में,
हाइलोजन के भार से,
दबा कंधा,
ताशे और ढोल का,
वजन उठाये हर बंदा,
हाइड्रोजन भरे गुब्बारे,
सजाने वालों का पसीना,
स्टेज बनाने गड्ढे खोदने का,
तनाव लिये युवक,
चूड़ीदार परदों पर,
कील ठोंकता शख्श,
पूड़ी बेलती कामगर,
महिलाओं की एकाग्रता,
कुर्सियाॅं सजाते,
युवकों का समर्पण,
कैमरा फलैश में,
चमकते लोगों की शान,
कहीं न कहीं,
इन सबका होना जरूरी है,
किसी की खुशी,
किसी की मजबूरी है,
ये सभी मिलकर,
बनाते वादी हैं,
इन सबकी खुशियों से ही,
धूम से होती शादी है।
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
जी बिल्कुल , आपकी बातों से मैं पूरी तरह सहमत हूं आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी, उत्साहवर्धन हेतु आपका कोटिशः आभार।
सम्माननीय सुरेन्द्रनाथ सिंह जी, आपका हृदय से आभार। आपसे सतत मार्गदर्शन की अपेक्षा है।
आदरणीय समर कबीर जी आपका हृदय से आभार। आपके मार्गद मार्गदर्शन का सतत अभिलाषी हूं। धन्यवाद!
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