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रवैया हाकिमों का देश को बीमार कर देगा
यहाँ मिलजुल के रहना और भी दुश्वार कर देगा।१।
फँसाया जा रहा है यूँ अविश्वासों में हमको अब
न जाने कब सखा ही झट पलटके वार कर देगा।२।
सियासत तेल छिड़केगी हमारी बस्तियों में फिर
जलाने का बचा जो काम वो अखबार कर देगा।3।
परोसे झूठ सच जैसा बनाकर मीडिया जो नित
किसी दिन ये हमारी सोच को लाचार कर देगा ।४।
अबोला शक बढ़ाता है रखो सम्वाद भाई से
नहीं तो शक खड़ी आँगन में इक दीवार कर देगा।५।
है नफरत हिंदू मुस्लिम में अभी तो सिर्फ चिंगारी
बढ़ा कर उसको सोशल मीडिया अंगार कर देगा।६।
मौलिक अप्रकाशित
Comment
आ. भाई ब्रजेश जी,स्नेहपूर्ण उत्साहवर्धन के लिए आभार ।
वाह आदरणीय क्या शानदार भाव व्यक्त किये हैं ग़ज़ल में..बेहतरीन..सादर
आ. भाई अजय जी, आपका सानिंध्य और प्रशंसा से मन प्रफुल्लित हुआ। हार्दिक आभार । मार्गदर्शन करते रहें ।
आदरणीय लक्ष्मण जी,
'अबोला' का प्रयोग बहुत खूबसूरत है और आपकी भाषाई सामर्थ्य का परिचायक. उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई.
आ. भाई सलीम जी, गजल पर उपस्थिति के लिए आभार ।
आ. भाई सलीम जी, गजल पर उपस्थिति के लिए आभार ।
आ. भाई पंकज जी, गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद ।
आ. भाई तस्दीक अहमद जी, प्रशंसा के लिए अभार ।
आ. भाई सुरेंद्र जी, प्रशंसा व स्नेह के लिए आभार ।
आ. भाई समर जी, अभिवादन । आपकी सकारात्मक और मार्गदर्शन करती प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद । बेहतरीन सुझाव सिरोधार्य हैं ।
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