For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नई रुत का अभी तूफ़ान बाक़ी है... ग़ज़ल- बलराम धाकड़

१२२२,१२२२,१२२२

नई रुत का अभी तूफ़ान बाकी है।
निज़ामत का नया उन्वान बाकी है।

निवाले छीनकर ख़ुश हो मेरे आका,
अभी अपना ये दस्तरख़ान बाकी है।

अभी टूटा नहीं है सब्र का पुल भी,
ज़रा सा और इत्मीनान बाकी है।

अभी थोड़ी सी घाटी ही तो खोई है,
अभी तो सारा हिन्दुस्तान बाकी है।

हथेली पर तुम्हारी रख तो दीं आँखें,
हमारे पास सुरमेदान बाकी है।

कयामत के बचे होंगे महीने कुछ,
अभी इंसान में इंसान बाकी है।

करोगे इसपे कब यलगार, ऐ हातिम,
उम्मीदों का जो कब्रिस्तान बाकी है।

पियादों की ये आहों का तक़ाज़ा था,
वज़ारत पिट गई सुल्तान बाकी है।

खड़ी आवाम है घुटनों के बल साहब,
कहें, अब और क्या फ़रमान बाकी है।

दिमागों पर है पहरा, बज़्न है दिल पर,
हिमालय से बड़ी चट्टान बाकी है।

सच्चाई की हुई नीलाम इज़्ज़त अब,
सहमता सा खड़ा ईमान बाकी है।

निचोड़ो और थोड़ा ख़ूँ कलेजे से,
बदन में और थोड़ी जान बाकी है।

मौलिक/अप्रकाशित
- बलराम धाकड़

Views: 966

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Balram Dhakar on October 27, 2018 at 9:43pm

बहुत बहुत शुक्रिया, आदरणीय रामअवध जी।

आपको ग़ज़ल पसंद आई, मेरा लिखना सार्थक हुआ।

सादर।

Comment by Balram Dhakar on October 27, 2018 at 9:42pm

आपका बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण जी।

सादर।

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on January 28, 2018 at 4:34pm

आदरणीय बलराम जी बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है। बधाई स्वीकार करें

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 28, 2018 at 2:43pm

आ. भाई बलराम जी, बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Balram Dhakar on January 26, 2018 at 5:25pm

धन्यवाद, आदरणीय बृजेश जी।
सादर।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 26, 2018 at 4:25pm

बहुतखूब आदरणीय खूब ग़ज़ल कही..सादर

Comment by Balram Dhakar on January 25, 2018 at 1:41pm

धन्यवाद, आदरणीय विजय जी।
सादर।

Comment by vijay nikore on January 25, 2018 at 1:17pm

गज़ल पढ़ कर आनन्द आ गया। हार्दिक बधाई।

Comment by Balram Dhakar on January 25, 2018 at 9:35am

जनाब रज़ा साहब,
हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया।
सादर।

Comment by Balram Dhakar on January 25, 2018 at 9:34am

धन्यवाद, आदरणीय सतविंद्र जी।
सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service