छन्द- तांटक
जात धरम और ऊँच नीच का, भेद मिटाना होता है
आज़ादी के बाद सभी को, देश बनाना होता है
कैसी ये आज़ादी है औ, क्या हम सब ने पाया है
तहस नहस कर डाला सब कुछ ,दिल में जहर उगाया है
फुटपाथों पर फ़टे कम्बलों, में जब बचपन रोता है
तब प्रगति के आसमान की ,धुँध में सब कुछ खोता है
आज़ादी के बाद सभी को, देश बनाना होता है
क्या किसान औ क्या जवान है, सबकी हालत खस्ता है
टैक्स भरें भूखे मर जाएँ ,क्या ये ही इक रस्ता है
बीमारी से लड़ता जीवन ,आस तो बहुत पिरोता है
अस्पताल में रगड़ रगड़ कर, इक दिन जीवन खोता है
आज़ादी के बाद सभी को, देश बनाना होता है
आज़ादी के दीवानों ने, यहाँ मशाल जलाई थी
कदर करो कुछ उनकी कैसे, आज़ादी दिलवाई थी
धर्म कर्म की बातों से भी, नफरत हर पल बोता है
आज़ादी पाने का बोलो, क्या ये मतलब होता है
आज़ादी के बाद सभी को, देश बनाना होता है
निज से आगे बढ़कर सोचो , झगड़ा आपस का छोड़ो
भाई भाई लड़ कर यूँ ही ,अपनों का सर ना फोड़ो
दो घूंट जीने को जन जन खून के आँसूं रोता है
जीवन रूपी हल में खुद को , बैल सरीखा जोता है
आज़ादी के बाद सभी को, देश बनाना होता है
जात धरम और ऊँच नीच का, भेद मिटाना होता है
आज़ादी के बाद सभी को, देश बनाना होता है
"मौलिक व अप्रकाशित"
(चार पदों एवं 16-14 की यति का वह छन्द जिसका पदान्त तीन गुरुओं से हो ताटंक छन्द कहलाता है)
Comment
आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी ,सादर अभिवादन ,रचना को समय देने व् उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद। । सादर।
आदरणीय vijay nikore ji ,सादर अभिवादन ,रचना को समय देने व् उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद। । सादर।
आदरणीय Mohammed Arif ji ,सादर अभिवादन ,रचना को समय देने व् उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद। । सादर।
आदरणीय Mahendra Kumar ji ,सादर अभिवादन ,रचना को समय देने व् उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद। । सादर।
वाह वाह सुन्दर छंदबद्ध रचना...बधाई
अच्छा संदेश देती सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई।
आदरणीया अलका जी आदाब,
बहुत ही सशक्त ताटंक छंद की रचना । हर पंक्ति पर मेरी दाद स्वीकार करें ।
जात धरम और ऊँच नीच का, भेद मिटाना होता है
आज़ादी के बाद सभी को, देश बनाना होता है ...वाह! बहुत ख़ूब!
इस उम्दा प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आ. अलका जी. सादर.
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