For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज़ादी के बाद सभी को, देश बनाना होता है..../ अलका 'कृष्णांशी'

छन्द- तांटक

जात धरम और ऊँच नीच का, भेद मिटाना होता है
आज़ादी के बाद सभी को, देश बनाना होता है

कैसी ये आज़ादी है औ, क्या हम सब ने पाया है
तहस नहस कर डाला सब कुछ ,दिल में जहर उगाया है
फुटपाथों पर फ़टे कम्बलों, में जब बचपन रोता है
तब प्रगति के आसमान की ,धुँध में सब कुछ खोता है

आज़ादी के बाद सभी को, देश बनाना होता है

क्या किसान औ क्या जवान है, सबकी हालत खस्ता है
टैक्स भरें भूखे मर जाएँ ,क्या ये ही इक रस्ता है
बीमारी से लड़ता जीवन ,आस तो बहुत पिरोता है
अस्पताल में रगड़ रगड़ कर, इक दिन जीवन खोता है

आज़ादी के बाद सभी को, देश बनाना होता है

आज़ादी के दीवानों ने, यहाँ मशाल जलाई थी
कदर करो कुछ उनकी कैसे, आज़ादी दिलवाई थी
धर्म कर्म की बातों से भी, नफरत हर पल बोता है
आज़ादी पाने का बोलो, क्या ये मतलब होता है

आज़ादी के बाद सभी को, देश बनाना होता है

निज से आगे बढ़कर सोचो , झगड़ा आपस का छोड़ो
भाई भाई लड़ कर यूँ ही ,अपनों का सर ना फोड़ो
दो घूंट जीने को जन जन खून के आँसूं रोता है
जीवन रूपी हल में खुद को , बैल सरीखा जोता है 

आज़ादी के बाद सभी को, देश बनाना होता है

जात धरम और ऊँच नीच का, भेद मिटाना होता है
आज़ादी के बाद सभी को, देश बनाना होता है

"मौलिक व अप्रकाशित"

(चार पदों एवं 16-14 की यति का वह छन्द जिसका पदान्त तीन गुरुओं से हो ताटंक छन्द कहलाता है)

Views: 641

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on February 1, 2018 at 2:33pm

आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज'  जी ,सादर अभिवादन ,रचना को समय देने व्  उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद। ।  सादर। 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on February 1, 2018 at 2:32pm

आदरणीय vijay nikore ji  ,सादर अभिवादन ,रचना को समय देने व्  उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद। ।  सादर। 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on February 1, 2018 at 2:31pm

आदरणीय Mohammed Arif ji ,सादर अभिवादन ,रचना को समय देने व्  उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद। ।  सादर। 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on February 1, 2018 at 2:29pm

आदरणीय Mahendra Kumar ji ,सादर अभिवादन ,रचना को समय देने व्  उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद। ।  सादर। 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 26, 2018 at 4:22pm

वाह वाह सुन्दर छंदबद्ध रचना...बधाई

Comment by vijay nikore on January 25, 2018 at 1:14pm

अच्छा संदेश देती सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by Mohammed Arif on January 24, 2018 at 7:58am

आदरणीया अलका जी आदाब,

                          बहुत ही सशक्त ताटंक छंद की रचना । हर पंक्ति पर मेरी दाद स्वीकार करें ।

Comment by Mahendra Kumar on January 23, 2018 at 8:21pm

जात धरम और ऊँच नीच का, भेद मिटाना होता है
आज़ादी के बाद सभी को, देश बनाना होता है ...वाह! बहुत ख़ूब!

इस उम्दा प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आ. अलका जी. सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service