For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कि है जो कर्ज़ माटी का लहू देकर चुकाते हैं-सतविन्द्र कुमार राणा

गजल
1222 1222 1222 1222
बताना है सभी को हम हलाली का ही खाते हैं
कि है जो कर्ज़ माटी का लहू देकर चुकाते हैं

सियासत भी है अच्छी शय जिसे अक्सर बुरा माना
भले कुछ रहनुमा भी हैं जो सबके काम आते हैं

दिशा दक्षिण में सर्दी चल पड़ी मधुमास आते ही
चमन में गुल महक उट्ठे भ्रमर भी गुनगुनाते हैं

समझना है जरा मुश्किल भरोसा किस पे करलें हम
कभी अपने उठाते हैं कभी अपने गिराते हैं

सलामत किस तरह दुनिया रहेगी आज 'राणा' बोल
भुलाकर लोग यकजहती यहाँ नफ़रत बढ़ाते हैं

मौलिक /अप्रकाशित

Views: 695

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 3, 2018 at 8:10pm

आदरणीय लक्षमण धामी जी हौंसलाफ़ज़ाई के लिए सादर आभार

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 3, 2018 at 8:09pm

आदरणीय विजय निकोर सर सादर आभार उत्साहवर्धन  के लिए

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 3, 2018 at 8:08pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ भाई जी हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहेदिल शुक्रिया

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 3, 2018 at 8:08pm

आदरणीया रक्षिता सिंह जी हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहेदिल शुक्रिया

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 3, 2018 at 8:07pm

आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी,हौंसलाफ़ज़ाई के लिए सादर आभार

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 3, 2018 at 8:06pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी हौंसलाफ़ज़ाई के लिए तहेदिल शुक्रिया

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 3, 2018 at 8:05pm

आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी,सादर हार्दिक आभार,अनुमोदन एवं उत्साहवर्धन के लिए

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 2, 2018 at 8:35pm

बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल कही आदरणीय..सादर

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 2, 2018 at 3:52pm

आ. भाई सतविंद्र जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by vijay nikore on February 2, 2018 at 1:15pm

गज़ल अच्छी लगी। हार्दिक बधाई, आ० साविन्द्र जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
16 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service