घुटन – लघुकथा -
"जुम्मन मियाँ, यह क्या हो गया हमारे शहर को। तिरंगा फ़हराने को लेकर दंगा फ़साद और मोतें"?
"सुखराम जी, यह केवल हमारे शहर का मसला नहीं है। ऐसी खतरनाक़ हवायें तो सारे देश में चल रहीं हैं। कहीं झंडे को लेकर, कहीं गाय को लेकर और कहीं मंदिर के बहाने"।
"अरे मियाँ, आजकल तो बलात्कार की भी बाढ़ सी आगयी है। वह भी नाबालिग बच्चियों के साथ। पता नहीं, ईश्वर कहाँ सोया पड़ा है"?
"सुखराम भाई, सब कुछ ईश्वर के भरोसे थोड़े ही चलता है। हमारी सरकार और प्रशासन की भी तो कोई जिम्मेवारी है कि नहीं"?
"सबसे बड़ी समस्या तो यही है कि सरकार के काम काज पर उंगली उठाते ही आप उनके दुश्मन हो जाते हो। जिसका खामियाज़ा बिना कारण भुगतना पड़ता है"।
"अब आप ही बताओ इन हालात में कोई शरीफ़ इंसान कैसे शुक़ून से जिये"?
"भैया, कितनी भी ज़हरीली हवायें चलें, कभी ना कभी तो थमेंगी ही।सब्र रखो और स्वच्छ हवा का इंतज़ार करो"।
"पर भाई जी, इन ज़हरीली हवाओं से जो जान माल का नुक़सान होगा, उसकी भरपाई कैसे होगी"?
“ सरकार ने कुछ घोषणा की तो हैं”|
“ उसमें भी तो बंदर बाँट होगी”|
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
हार्दिक आभार आदरणीय सुरेंदर इंसान जी।
सोचने पर मजबूर करती बहुत अच्छी रचना की आपने ।बहुत बहुत बधाई हो।
हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी।
बहुत ही सही विषय उठाया है आदरणीय इस कथा के माध्यम से...सादर
हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे जी।
इस अच्छी सामयिक लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई, आ० आदरणीय तेजवीर सिंह जी
हार्दिक आभार आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी।
अच्छा व्यंग आद0 तेजवीर जी। इस सामयिक पुट के साथ लिखे गये लघुकथा पर मेरी बधाई स्वीकार करें।सादर
हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।
मुहतरम जनाब तेजवीर साहिब ,संदेश देती बहुत ही ज़बरदस्त लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online