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गर बीज है जमीन में अंकुर भी आयेगा
,जागेगी ये अवाम तग़य्युर भी आयेगा
'ज़ह्नों में लाज़मी है तहय्युर भी आयेगा
बदलाव आयेगा तो तफ़क्कुर भी आयेगा
इंसानियत का आज कोई गीत गा रहा
,जब साज है नया तो नया सुर भी आयेगा
आना न मेरी जिन्दगी में तुम कभी सनम
,आए तो फुर्कतों का तसव्वुर भी आयेगा
'कमसिन रहे वो नाज़नीं यारो दुआ करो
आया अगर शबाब तकब्बुर भी आयेगा'
लिखदी ग़ज़ल समाज पे शाइर ने इक नई
,लाज़िम है कुछ दिलों में तनफ्फुर भी आयेगा
लो प्यार लिख दिया है समन्दर में डूब कर
,अब गालिबन कलम में तदब्बुर भी आयेगा
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तग़य्युर= बदलाव /चेंज , तहय्युर=आश्चर्य , तफ़क्कुर=चिंता
तसव्वुर=ख़याल , तकब्बुर=घमंड , तनफ्फुर=घ्रणा, तदब्बुर=बुद्धिमानी /गंभीरता दूरदर्शिता/संयम
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आद० रोहित डोबरियाल जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका तहे दिल से शुक्रिया
आद० लक्ष्मण धामी भैया ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका तहे दिल से शुक्रिया
आद० बृजेश कुमार जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका तहे दिल से शुक्रिया
आद ० नरेन्द्र सिंह चौहान जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका तहे दिल से शुक्रिया
आद० तेजवीर सिंह जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई आपका तहे दिल से शुक्रिया
मोहतरम जनाब तस्दीक जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई बहुत बहुत शुक्रिया |आपकी कुछ शंकाएं हैं जिनको स्पष्ट करना चाहूंगी
१. शेर न. ३ में तकाबुले रदीफ़ दोष इतना बड़ा नहीं है ये कई जगह मान्य होता है और इस शेर में ये जरूरी था |
४. शेर के उला में यदि आपके मिसरे को लें तो आना न जन्दगी में मेरी --में क्या तनाफुर नहीं आयेगा .वैसे आपकी इस्स्लाह अच्छी है |
अब तकव्वुर की बात लीजिये तो इस शब्द को लेकर बड़े शायरों की बहुत सारी गज़लें पढ़ी तब संतुष्ट होकर ये शब्द लिखा हो सकता है दोनों तरह से लिखा जाता हो
आद० मोहम्मद आरिफ़ जी ,आपका दिल से बहुत बहुत शुक्रिया .
आद० सुरेन्द्र नाथ भैया ,पोस्ट पर देर से आने के लिए खेद है बाहर गई हुई थी कुछ दिनों से बहुत ज्यादा व्यस्तता थी | आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ दिल से आभारी हूँ
आ. राजेश दी , बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
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