कुछ कह न सकूं राहे दिल पर बरबाद हूँ या आबाद हूँ मै ।
रहती है तेरी याद मुझे या खुद ही तेरी याद हूँ मै ।
ठुकराया भी तुमसे न गया अपनाया भी तुमसे न गया,
उल्फत के दर फरियादी की इक टूटी सी फरियाद हूँ मै ।
मैं जिस्म हूँ कोई माटी का इस जिस्म की जान तुम्ही तो हो,
कुछ भी न तुम्हारे पहले था कुछ भी न तुम्हारे बाद हूँ मै ।
ये दर्दे जुदाई भी तेरी ये इश्के खुदाई भी तेरी,
तेरे गम में गमगीन फिरूँ तेरे मद में दिलशाद हूँ मै ।
मै पंछी जग के पिंजरे का तू आसमान सा है मुझको,
तू अपनी कैद में रख ले अब इस कैद में ही आज़ाद हूँ मै।
नीरज मिश्रा
मौलिक व अप्रकाशित
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बहुत बहुत हार्दिक आभार सोमेश जी
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