For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब  उठी उनकी नज़र (चार कवाफ़ी के साथ ग़ज़ल)

अरकान: फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन  

जब  उठी  उनकी   नज़र,  इफ़रात   घर  जलने  लगे।
ख़ुद नहीं हमको  ख़बर, किस  बात  पर  मरने  लगे।।

आपकी   काबिल   मुहब्बत,   सीख   हमको   दे  गई,
राह  में   आईं   अगर,   आफा़त   हर   सहने   लगे।।

यह ज़मीं ज़न्नत नज़र आएगी इक दिन खुद-ब-खुद,
बाप-माँ  की  हर  बशर  ख़िदमात  गर  करने  लगे।।

मिल गई इक  बार  अब  नुसरत  उसे  फिर  से  वहाँ,
आजकल  वो  ज़र  जिधर  ख़ैरात  कर  चलने लगे।।

मुफ़लिसी  उनकी उन्हें किस  हाल  तक  ले  जाएगी,
बस   यही  अब  सोचकर  बेबात  सर  फटने  लगे।।

बन  गया  कानून  कुदरत  का  तो फिर मिटना नहीं,
भूल   से   हो  जाए  गर  बरसात  खर  उगने  लगे।।

इस  तरह  तन्हाइयाँ  भी  डस  रहीं  हैं   रात   दिन,
'दीप'  के  अब  देखकर  हालात  डर  लगने   लगे।।

-प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप'

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 441

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप' on February 26, 2018 at 12:13am

जनाब समर साहिब! 

नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया, आपका कहना जायज़ है, काफिया का चुनाव गलत हुआ, खैर जो हो गया सो हो गया..... 

बहरहाल आपका एक बार फिर से शुक्रिया इस खामी की निशानदिही  के लिए।  

Comment by Samar kabeer on February 25, 2018 at 2:58pm

जनाब प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप' जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

पूरी ग़ज़ल में क़ाफ़िया दोष है,मतले के ऊला मिसरे में 'जलने'क़ाफ़िया लिया गया है,जिसमें 'ने' क़ाफ़िया है और हर्फ़-ए-रवी 'ल' लेनिन सानी मिसरे में "मरने" क़ाफ़िया लिया गया है,जो ग़लत है,इसमें 'ने' क़ाफ़िया के साथ हर्फ़-ए-रवी 'र' होने से क़ाफ़िया दोष पैदा हो गया,मतले के ऊला मिसरे के बाद ग़ज़ल के क़वाफ़ी 'पलने''मलने'होना चाहिए थे,जो नहीं हैं ।

क़ाफिये के पहले बार बार आने वाले हर्फ़ (अक्षर) को हर्फ़-ए-रवी खते हैं ।

Comment by प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप' on February 24, 2018 at 9:10pm

शुक्रिया! ज़नाब श्याम नारायण वर्मा जी। 

Comment by Shyam Narain Verma on February 23, 2018 at 4:10pm
क्या बात है, बहुत उम्दा हार्दिक बधाई l सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service