For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

*[बहर-ए-खफ़ीफ़ मुसद्दस मख़बून]*

*2122 1212 22*

बन के मेरा हबीब आता है।
जो भी दिल के करीब आता है।।

सबकी तकदीर में लिखा है सब,
कौन बनने गरीब आता है।।

खून मेरा उबलने है लगता,
रू-ब-रू जब रकीब आता है।।

कद्र भाई की है नहीं जिसको,
वही लेकर ज़रीब आता है।।

आजकल हो गया उसे है क्या,
बन के हरदम अजीब आता है।।

हौसले देखकर हमारे अब
पढ़ने खुतबा ख़तीब आता है।।

'दीप' अब ऐतबार है किसका
काम किसके नसीब आता है।।

-प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप'

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 842

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप' on February 26, 2018 at 11:04pm

ज़नाब विजय साहिब और ज़नाब बृजेश साहिब !

ग़ज़ल पसंद करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप' on February 26, 2018 at 11:03pm

ज़नाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब !

तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप' on February 26, 2018 at 11:02pm

ज़नाब सुरेंद्र साहिब !

ग़ज़ल में शिरकत और हौसला आफज़ाई के लिए शुक्रिया। 

Comment by प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप' on February 26, 2018 at 11:01pm

ज़नाब राम अवध साहिब!

बहुत बहुत शुक्रिया !

Comment by प्रदीप कुमार पाण्डेय 'दीप' on February 26, 2018 at 11:00pm

ज़नाब तेजवीर साहिब!

ग़ज़ल में शिरकत और हौसला आफज़ाई के लिए तहे दिल से शुक्रिया।

आपको शेर पसंद आया मेरे लिए खुशी की बात है। 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 2, 2018 at 8:45pm

बड़ी ही उम्दा ग़ज़ल कही आदरणीय..सादर

Comment by vijay nikore on February 2, 2018 at 1:18pm

गज़ल अच्छी लगी। दिल से बधाई।

Comment by Mohammed Arif on February 1, 2018 at 8:10am

आदरणीय प्रदीप कुमार जी आदाब,

                         बढ़िया अश'आरों से सुसज्जित ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए ।

Comment by नाथ सोनांचली on February 1, 2018 at 4:01am

आद0प्रदीप जी सादर अभिवादन। बढिया ग़ज़ल कही आपने,बहुत बहुत बधाई

Comment by Ram Awadh VIshwakarma on January 31, 2018 at 6:36pm

आदर्णीय "दीप" जी बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद कुबूल फरमायें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service