प्रतिज्ञा - लघुकथा –
एक खूँखार आतंकी संगठन के सिरफ़िरे मुखिया ने राज्य के मुख्यमंत्री को खूनी चुनौती भरा संदेश भेज कर पूरे राज्य में दहशत फ़ैला दी थी। उसने हिदायत की थी कि इस बार होली पर लाल चौक पर एक भी बंदा गुलाल या किसी भी प्रकार के रंग के साथ दिखा तो लाल चौक को खून से रंग दिया जायेगा। यह हमारा त्यौहार नहीं है इसलिये हम हमारे राज्य में किसी को भी होली खेलने की इज़ाज़त नहीं देंगे। मुख्यमंत्री की नींद उड़ चुकी थी।
आपातकालीन बैठक बुलाई गयी थी। पूरे राज्य में रेड अलर्ट तथा अघोषित कर्फ़्यू लगा दिया गया था। चप्पे चप्पे पर सेना, पुलिस और पैरा मिलिट्री फ़ोर्सेज के हथियार बंद जवान तैनात कर दिये गये थे। लाल चौक तो एक तरह से छावनी में तब्दील कर दिया गया था। सुरक्षा व्यवस्था इस क़दर चाक़ चौबंद थी कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता था। सरकार किसी भी नागरिक की जान को खतरे में डालना नहीं चाहती थी। इसलिये मीडिया के सभी साधनों, रेडियो , टी वी, और अखबारों द्वारा यह संदेश प्रसारित हो रहा था कि जनता अपने घरों से बाहर ना निकले। सेना की सशस्त्र गाड़ियाँ गस्त कर रही थीं।
लेकिन उधर जनता के मन में क्या चल रहा था कोई नहीं जानता था।हर शख्स के मन में क्रोध का एक तूफ़ान उमड़ रहा था। लोग आपस में एक दूसरे को संदेश भेज कर अपनी भावनाओं से अवगत करा रहे थे। तथा अपनी घुटन को व्यक्त करने की योजना बना रहे थे।
अचानक ठीक बारह बजे एक समुद्र की तरह जन सैलाब हाथों में रंग और गुलाल उड़ाते हुए लाल चौक पर इकट्ठा होने लगा। देखते देखते लाखों लोग एकत्र हो गये। समूचा आसमान रंगों से पटा पड़ा था। भीड़ में हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख और ईसाई सभी धर्म के लोग शामिल थे। लगता था जैसे राज्य के हर नागरिक ने आतंकी संगठनों को मुँह तोड़ जवाब देने की प्रतिज्ञा ले रखी हो।
प्रशासन भी भौचक्का होकर इस क़दम को निहार रहा था। साथ ही इस बदली हुई फ़िज़ा का मुक्त कंठ से स्वागत भी कर रहा था।उधर आतंकी संगठन के मुखिया का कोई भी गुर्गा इस भीड़ का सामना करने को तैयार नहीं था। सब मुँह छिपाये घूम रहे थे।
उधर आतंकी संगठन के मुखिया के चेहरे पर हवाईंयाँ उड़ रहीं थीं। शर्म और घबराहट से उसका चेहरा ज़र्द हो गया था।
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।
समसामयिक नकारात्मक वातावरण में कटाक्षपूर्ण सकारात्मक संदेश वाहक रचना के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब तेज वीर सिंह साहिब।
हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।आदाब।
हार्दिक आभार आदरणीय कल्पना भट्ट जी।
हार्दिक आभार आदरणीय शरद सिंह जी।
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,बहुत अच्छी लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
अच्छी लघुकथा हुई है आदरणीय तेज वीर सिंह जी | हार्दिक बधाई |
आदरणीय तेज वीर जी सादर बधाई...... प्रासंगिक लेख व शीर्षक से बंधा हुआ अति सुंदर
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