For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अंधा कानून – लघुकथा  –

अंधा कानून – लघुकथा  –

"वक़ील साब, आप म्हारे गाँव के हो और जाति बिरादरी के भी हो, इसीलिये आप के पास बड़ी उम्मीद लेकर आये हैं"।

"बोलो सरजू भाई, बात क्या है"?

"चौधरी रामपाल के छोरे ने म्हारी छोरी की इज्जत लूट ली"।

"पूरी बात खुलकर बताओ। क्या हुआ,कैसे हुआ, कहाँ हुआ"?

"म्हारी छोरी बकरी चरा रही थी, चौधरी के आम के बगीचे के पास। नीचे ज़मींन पर दो चार कच्चे आम पड़े दिखे तो छोरी बीनने लग गयी। पीछे से चौधरी के छोरे ने उसे दबोच लिया और इज्जत लूट ली"।

"फ़िर क्या किया आप लोगों ने"?

"छोरी रोती हुई घर आयी तो हम लोगों ने पंचायत में गुहार लगाई"।

"वहाँ क्या हुआ"?

"पंचों ने तो छोरी को ही गलत साबित कर दिया।बोले कि तेरी छोरी चोरी करते पकड़ी गयी थी तो झूठा आरोप लगा रही है"।

"उसके बाद क्या किया आपने"?

"फिर हम थाने गये।तो दरोगा बोला कि लड़की की डाक्टरी जाँच करा लाओ तथा साथ में दो चश्मदीद गवाह भी लेकर आओ"।

"तो आपने डाक्टरी जाँच कराई"?

" गाँव के अस्पताल गये तो डाक्टर ने कहा कि यहाँ कोई महिला डाक्टर नहीं है अतः इसे शहर ले जाओ"।

"अब यहाँ करा ली डाक्टरी जाँच"?

"अरे भैया, कुछ भी नहीं हुआ। दो दिन से इधर से उधर घूम रहे हैं, कोई हमारी बात सुनने को तैयार ही नहीं"?

"देखो सरजू भाई,जाति भाई होने के नाते, आपको एक सलाह देता हूँ।मानो तो ठीक और नहीं मानो तो आपकी मर्ज़ी"।

"मानेंगे भाई ज़रूर मानेंगे आपकी सलाह"।

"यह कोर्ट कचहरी, कानून  गरीब लोगों के लिये नहीं हैं।जो हुआ भूल जाओ।जो पैसा इन झंझटों में बिगाड़ोगे उसी पैसे से अपनी बेटी को पढ़ाओ लिखाओ और उसे अपने पैरों पर खड़े होने लायक बनाओ"।

"वक़ील साहब, यदि आपकी बिटिया के साथ ऐसा होता तो क्या आप भी यही करते"?

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 640

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Omprakash Kshatriya on February 27, 2018 at 5:43am

आदरणीय तेज वीर सिंह जी आप ने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है. इस का अंत मारक और सन्देशयुक्त है. मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिएगा. 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 26, 2018 at 11:49pm

आ. भाई तेजवीर जी अच्छी कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by TEJ VEER SINGH on February 26, 2018 at 4:58pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।आदाब।

Comment by Samar kabeer on February 25, 2018 at 9:24pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,उम्दा लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on February 24, 2018 at 7:35pm

हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 24, 2018 at 7:02pm

जनाब तेजवीर साहिब, सीख देती सुन्दर लघुकथा हुई है, मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं।

Comment by TEJ VEER SINGH on February 24, 2018 at 1:56pm

हार्दिक आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ साहब जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on February 24, 2018 at 1:55pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।

Comment by Mohammed Arif on February 24, 2018 at 8:02am

आदरणीय तेजवीर सिंह जी आदाब,

                            दुष्कर्म की पृष्ठभूमि पर लिखी गई सशक्त लघुकथा । देश के रसूखदार लोग.जब दुष्कर्म का खेल खेलते हैं तो उनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होती बल्कि ग़रीब दर-दर की ठोकरें खाता रहता है । अंधा क़ानून सिर्फ लिखित में शोभा बढ़ा रहा है । हमारे कमीन और हरामी रहनुमा भी इस दुष्कृत्य में अपनी भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं । संवाद भी पात्रानुकूल । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 24, 2018 at 7:51am

 ऐसे ही समझौते करने पड़ते हैं एक वर्ग विशेष को। लेकिन नकारात्मकता कैसे समाप्त होगी? विचारोत्तेजक रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय तेज वीर सिंह जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
10 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
10 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
16 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service