अंधा कानून – लघुकथा –
"वक़ील साब, आप म्हारे गाँव के हो और जाति बिरादरी के भी हो, इसीलिये आप के पास बड़ी उम्मीद लेकर आये हैं"।
"बोलो सरजू भाई, बात क्या है"?
"चौधरी रामपाल के छोरे ने म्हारी छोरी की इज्जत लूट ली"।
"पूरी बात खुलकर बताओ। क्या हुआ,कैसे हुआ, कहाँ हुआ"?
"म्हारी छोरी बकरी चरा रही थी, चौधरी के आम के बगीचे के पास। नीचे ज़मींन पर दो चार कच्चे आम पड़े दिखे तो छोरी बीनने लग गयी। पीछे से चौधरी के छोरे ने उसे दबोच लिया और इज्जत लूट ली"।
"फ़िर क्या किया आप लोगों ने"?
"छोरी रोती हुई घर आयी तो हम लोगों ने पंचायत में गुहार लगाई"।
"वहाँ क्या हुआ"?
"पंचों ने तो छोरी को ही गलत साबित कर दिया।बोले कि तेरी छोरी चोरी करते पकड़ी गयी थी तो झूठा आरोप लगा रही है"।
"उसके बाद क्या किया आपने"?
"फिर हम थाने गये।तो दरोगा बोला कि लड़की की डाक्टरी जाँच करा लाओ तथा साथ में दो चश्मदीद गवाह भी लेकर आओ"।
"तो आपने डाक्टरी जाँच कराई"?
" गाँव के अस्पताल गये तो डाक्टर ने कहा कि यहाँ कोई महिला डाक्टर नहीं है अतः इसे शहर ले जाओ"।
"अब यहाँ करा ली डाक्टरी जाँच"?
"अरे भैया, कुछ भी नहीं हुआ। दो दिन से इधर से उधर घूम रहे हैं, कोई हमारी बात सुनने को तैयार ही नहीं"?
"देखो सरजू भाई,जाति भाई होने के नाते, आपको एक सलाह देता हूँ।मानो तो ठीक और नहीं मानो तो आपकी मर्ज़ी"।
"मानेंगे भाई ज़रूर मानेंगे आपकी सलाह"।
"यह कोर्ट कचहरी, कानून गरीब लोगों के लिये नहीं हैं।जो हुआ भूल जाओ।जो पैसा इन झंझटों में बिगाड़ोगे उसी पैसे से अपनी बेटी को पढ़ाओ लिखाओ और उसे अपने पैरों पर खड़े होने लायक बनाओ"।
"वक़ील साहब, यदि आपकी बिटिया के साथ ऐसा होता तो क्या आप भी यही करते"?
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
आदरणीय तेज वीर सिंह जी आप ने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है. इस का अंत मारक और सन्देशयुक्त है. मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिएगा.
आ. भाई तेजवीर जी अच्छी कथा हुई है । हार्दिक बधाई ।
हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।आदाब।
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,उम्दा लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।
जनाब तेजवीर साहिब, सीख देती सुन्दर लघुकथा हुई है, मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं।
हार्दिक आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ साहब जी।
हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।
आदरणीय तेजवीर सिंह जी आदाब,
दुष्कर्म की पृष्ठभूमि पर लिखी गई सशक्त लघुकथा । देश के रसूखदार लोग.जब दुष्कर्म का खेल खेलते हैं तो उनके ऊपर कोई कार्रवाई नहीं होती बल्कि ग़रीब दर-दर की ठोकरें खाता रहता है । अंधा क़ानून सिर्फ लिखित में शोभा बढ़ा रहा है । हमारे कमीन और हरामी रहनुमा भी इस दुष्कृत्य में अपनी भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं । संवाद भी पात्रानुकूल । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
ऐसे ही समझौते करने पड़ते हैं एक वर्ग विशेष को। लेकिन नकारात्मकता कैसे समाप्त होगी? विचारोत्तेजक रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय तेज वीर सिंह जी।
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