212 212 212 212
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दरमियाँ अब तेरे मेरे क्या रह गया,
फासला तो हुआ पर नशा रह गया ।
उठ चुका तू मुहब्बत में इतना मगर
मैं गिरा इक दफ़ा तो गिरा रह गया ।
ज़ह्र मैं पी गया, बात ये, थी नहीं,
दर्द ये, मौत से क्यों ज़ुदा रह गया ।
मौत से, कह दो अब, झुक न पाऊँगा मैं,
सर झुकाने को बस इक खुदा रह गया ।
टूट कर फिर से बिखरुं, ये हिम्मत न थी,
इस जहाँ को बताता, गिला रह गया ।
खत जो तेरा पढ़ा चश्म-ए-तर हो गए,
बा-वफ़ा था मैं अब बे-वफ़ा रह गया ।
ज़िन्दगी में चलीं आँधियाँ इस कदर,
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया ।
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मौलिक व अप्रकाशित
हर्ष महाजन
Comment
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दरमियाँ अब तेरे मेरे क्या रह गया,
फासला तो हुआ पर नशा रह गया ।
उठ चुका तू मुहब्बत में इतना मगर
मैं गिरा इक दफ़ा तो गिरा रह गया ।
ज़ह्र मैं पी गया, बात ये, थी नहीं,
दर्द ये, मौत से क्यों ज़ुदा रह गया ।
मौत से, कह दो अब, झुक न पाऊँगा मैं,
सर झुकाने को बस इक खुदा रह गया ।
टूट कर फिर से बिखरुं, ये हिम्मत न थी,
इस जहाँ को बताता, गिला रह गया ।
खत जो तेरा पढ़ा चश्म-ए-तर हो गए,
बा-वफ़ा था मैं अब बे-वफ़ा रह गया ।
ज़िन्दगी में चलीं आँधियाँ इस कदर,
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया ।
आदरणीय समर कबीर जी आदाब । आपके दिए प्रोत्साहन से ऊर्जा मिल जाती है सर । आपके आने भर से कुछ न कुछ सीखने को आवश्य मिलता है । आज एक और शब का इज़ाफ़ा हुआ । ज़ह्र का ।
मेरी बहुत सी ग़ज़लों में ये इस्तेमाल हुआ है सर । उन्हें दुरुस्त करने होगा । आपकी इस प्रोत्साहन भारी टिप्पणी के लिए दिल से मशकूर हूँ ।
सादर
जनाब हर्ष महाजन साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।
'बात ये थी नहीं,पी गया में ज़हर'
इस में 'ज़हर' शब्द सही नहीं,सही शब्द है "ज़ह्र"21,इसलिये इस मिसरे को यूँ कर लें :-
'ज़ह्र मैं पी गया बात ये थी नहीं'
आदरणीय तेज वीर सिंह जी आपकी इस कृति पर उपस्तिथि और उत्साहवर्धन के लिए मैं तहे दिल से आभारी हूँ । शुक्रिया सर ।
सादर!
हार्दिक बधाई आदरणीय हर्ष महाजन साहब जी।बेहतरीन गज़ल।
ज़िन्दगी में चलीं आँधियाँ इस कदर,
ये दिया कैसे जलता हुआ रह गया ।
क्षमा कीजियेगा आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी, ऑटो स्पेल में आपके नाम में त्रुटि हुई ।
सादर
आदरणीय शरद सिंह जी उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया । उम्मीद है आपकी आमद यूँ ही बरकरार रहेगी ।
आदरणीय श्याम नारातां वर्मा जी हौंसला अफ़ज़ाई का दिल से शुक्रिया ।
आदरणीय महाजन जी एहसास व अनुभूति परक रचना हेतु बधाई सादर...
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