शांत चेहरे पर होती अपनी एक कहानी,
पर दिल के अंदर होते जज्बातों के तूफान,
अंदर ही अंदर बुझे सपनों के पंख उडने को फडफडाते,
पनीली ऑंखों से अनगिनत सपने झांकते
जीवन का हर लम्हा तितर वितर क्यों होता,
जीवन का अर्थ कुछ समझ नहीं आता,
लेकिन इस भाव हीन दुनियां में सोचती,
खुद को साबित करने को उतावली,
पूछती अपने आप से,
सपने तो कई हैं, कौन सा करू पूरा,
आज बहुत से सवाल दिमाग को झकझोरते,
खुद से सवाल कर जवाब मांगते,
जीवन जीने की एक नई दिशा मिले,
जुवान रोक सकता है जमाना,
पर सपने देखने पर किसकी लगाम लगी,
अपने सपनों की ही दुनिया में कल्पना करती........
शांत चेहरे पर होती अपनी एक कहानी. .......
रचना मौलिक व अप्रकाशित है
बबीता गुप्ता
Comment
सराहना और त्रुटियों की तरफ धयानाकर्षित करने के लिए आभार.
अंतस के भावों का खूबसूरत चित्रण किया महोदया...सादर
आदरणीय बबीता जी, बढ़िया प्रस्तुति । बधाई स्वीकार करें ।
मोहतरमा बबीता गुप्ता जी आदाब,अच्छी रचना है,बधाई स्वीकार करें ।
कृपया रचना के साथ उसकी विधा भी लिख दिया करें,ये इस मंच का नियम है ।
सुन्दर सार्थक रचना ने लिये आपको बधाई …. |
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