For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

करनी है जब मन की साहब
क्यों पूछे हो हमरी साहब ।

पानी भरने मैं निकला हूँ
ले हाथों में चलनी साहब ।

पढ़े फ़ारसी तले पकौड़े
किस्मत अपनी अपनी साहब ।*

आटा से डाटा है सस्ता
सब माया है उनकी साहब ।*

शौचालय का मतलब तब ही
जन जब खाए रोटी साहब ।

नही सुरक्षित घर में बेटी
धरम-करम बेमानी साहब ।

सच्ची सच्ची बात जो बोले
आज वही है 'बाग़ी' साहब ।

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

*संशोधित

Views: 1176

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 30, 2018 at 4:36pm

आदरणीय समर साहब, मेरी पूर्व की टिप्पणी स्वतः स्पष्ट है । आप द्वारा प्रस्तुत स्क्रीन शॉट में भी अरकान हेतु अनुरोध ही किया गया है । विश्वास है कि आप अब संतुष्ट होंगे ।

Comment by Samar kabeer on April 30, 2018 at 3:33pm

अब फ़ैसला आप कीजिये कि क्या करें?

Comment by Samar kabeer on April 30, 2018 at 3:29pm
Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 30, 2018 at 8:37am

वैसे ..एक बहुत सामयिक काफ़िया छूट रहा है क्यूँ कि ग़ज़ल में नाम न लेने की परम्परा है वरना ..
भटक रहे हैं........... साहब ..एक मिसरा हो   सकता था :-)))))))))))))))

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 30, 2018 at 8:35am

आ. बाग़ी जी,
आप को मंच और ऊपर से ग़ज़ल में देखकर बहुत प्रसन्नता हुई...
समसामयिक विषयों के आक्रोश को प्रदर्शित करती अच्छी रचना है ..
सारी बातें समर सर कह ही चुके हैं ...
अरकान की अनिवार्यता नहीं है यह बात मुझे भी यहाँ की टिप्पणियों से पता चली क्यूँ कि जब मंच   से मैं  जुड़ा तब से देख   रहा हूँ कि कई वरिष्ठों ने अरकान लिखने का आग्रह किया है और मैंने भी कईयों को यही नियम है..ऐसा कहा है..
हो सकता है आग्रह को हम अनिवार्यता मान बैठे हों..
ग़ज़ल के लिए बधाई 
सादर 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 29, 2018 at 10:19pm

रोज़ी-रोटी , रोज़ी-रोटी पर  और समसामयिक घटनाचक्र पर बढ़िया प्रस्तुति के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया और आभार आदरणीय गणेश जी बागी साहिब।

Comment by Samar kabeer on April 29, 2018 at 9:46pm

जी, शुक्रिया ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 29, 2018 at 9:37pm

आदरणीय समर साहब, मंच का जो भी अनिवार्य नियम है वह टैब में नियम शीर्षक के अंतर्गत लिखित है । आप जो भी कह रहे हैं वह आग्रह की विषय वस्तु है न कि अनिवार्य शर्त । सादर ।

Comment by Samar kabeer on April 29, 2018 at 9:25pm

मैं जिस दिन से ओबीओ से जुड़ा हूँ यही पढ़ता आ रहा हूँ कि ग़ज़ल के साथ अरकान लिखना मंच का नियम है,इसलिये लिख दिया,आप बताएं कि क्या ये अनिवार्य नियम है? मैं और मंच के अन्य सदस्य भी जिस रचना पर विधा और विधान नहीं लिखा होता यही कहकर टोक देते हैं कि 'कृपया रचना के साथ विधा और विधान लिखने का कष्ट करें,ताकि नये सदस्यों को सीखने का मौक़ा मिले'। अब आप कृपया बताने का कष्ट करें कि क्या ये ओबीओ का नियम है?जैसे मौलिक व अप्रकाशित लिखने का नियम है?

Comment by Samar kabeer on April 29, 2018 at 8:24pm

मतले के सानी मिसरे को ग़लत पढ़ा, क्षमा चाहता हूँ ।

'चलनी' शब्द के बारे में जानकारी देने के लिए शुक्रिया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service