For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पन्द्रह दिन पूर्व

निधि का फोन था |मैंने फोन उठाकर कहा की अभी कुछ व्यस्त हूँ |बाद में बात करते हैं |

“दो मिनट में मैं घर पहुँच जाऊँगी |” उसने कुछ बुझी आवाज़ में कहा

“सब ठीक-ठाक है ?” मैंने चिंता जताते हुए कहा |

“बहुत से भूचाल हैं |”

“ससुराल में फिर कुछ हुआ ?”

“वो तो लगा ही रहना है |मुझे लगता है मैं इन लोगों के साथ तालमेल नहीं बिठा सकती |पर कुछ और बताना है पिंकी के बारे में --” निधि का गला भर्राया हुआ था

“क्या हुआ !”

“मुझे लगता है की पिंकी की रिपोर्ट पोज़टिव आएगी ---‘

“ये तो सब भगवान की लीला है |” मैंने गम्भीर मुद्रा में जवाब दिया

“शायद  यह रवि की बद्दुआ है |”

“रवि की बद्दुआ !”

हाँ ,रवि बार-बार पिंकी से कहता की उसे खूब सारी दवाई खानी होती है -- पिंकी ने भी कहा की दवाई तो वो भी खाती है | तब रवि ने झल्ला कह कहा  था कि कभी अगर हमारी दवाईयाँ बदल जाएँगी तो तुझे समझ आए की कैंसर की तकलीफ़ क्या होती है |”

“क्या तुम मुझे नई कहानी का शीर्षक दे रही हो ?” मैंने कुछ सोचते हुए पूछा

“नहीं मैं तुम्हें बताना चाहती हूँ की कुछ लोगों के लिए प्रेम कैंसर की होता है |जैसे की यहाँ प्रेम ही कैंसर की वजह हो बैठा | “

“अच्छा !क्या कीsस करने से कैंसर हो सकता है |” कुछ देर सोचकर निधि ने पूछा

“क्या बेवकूफी भरा सवाल है !कभी ऐसा सुना है |”

“पिंकी ने डेढ़ साल पहले पूछा था ----जब रवि का कैंसर उभरा था |” निधि ने जवाब दिया

“ -----अच्छा घर आने वाला है |फ़ोन रखती हूँ |”

निधि ने फ़ोन रख दिया और मुझे इस उलझन में छोड़ गई की मैं पिंकी की कथा लिखूँ या नहीं  |

पिंकी यानि मेरी दोस्त निधि की कॉलेज-फ्रेंड |पिंकी से कभी मेरी मुलाकात नहीं हुई | और बात !

“क्या मुझसे दोस्ती करोगी ?” एक दिन निधि से पिंकी का नम्बर लेकर मैंने उसे एस.एम.एस किया था

“तुम कौन----और मेरा नम्बर किसने दिया तुम्हें ?”

“नम्बर देने वाले से क्या मतलब ?तुम्हें दोस्ती करनी है या नहीं ?” मैंने अगला संदेश भेजा

एक मिनट बाद ही मेरे फ़ोन की घंटी बज उठी |

“सुनो ,आप जो कोई हो---मुझे परेशान मत करो,मैं पहले से एक रिलेशन में हूँ और दोबारा मुझें संदेश मत भेजना |”

और उसने बिना मेरी बात सुने फ़ोन रख दिया |यह पिंकी से मेरा पहला और आखिरी संवाद था |उसके बाद पिंकी के बारे में जितना कुछ जाना वो सिर्फ़ निधि के माध्यम से ही जाना |

तीन महीने पहले निधि ने बताया था की डाक्टर ने पिंकी को बायोस्पी की सलाह दी है |

“बेचारी बहुत डरी है !उसने नेट पर भी सर्च किया है |लक्षण मिलते हैं |पलक तक के बाल झड़ रहे हैं |अक्ल-ढाड भी कुछ थेड़ा हो गया है | बचपन में उसके पाँव में चोट लगी थी  अब उस पैर में घाव बन गया है और डाक्टर ने एन्केल शू पहनने को कहा है  -----“एक साँस में बोलती चली गई थी निधि

“हम कर ही क्या सकते हैं प्रार्थना के सिवाय !-----जितनी चाभी भरी राम ने ---“मैंने निधि को समझाने की गरज से कहा

“तुम सही कहते हो |पहले मैं समझती थी की मैं सबसे बदनसीब लड़की हूँ |पर अब,जब आसपास देखती हूँ तो अपने को बहुत सुखी अनुभव करती हूँ |-----बेचारी पिंकी !उसका तो सारा जीवन दर्द और अधूरेपन में गुजर गया |वो ना तो अपना प्यार हासिल कर सकी,ना शादी का जोड़ा पहन सकी और ना कोई और खुशी ही उसे नसीब हुई |”

“रवि को भी तो कैंसर है ?कौन सा कैंसर है ?”मैंने याद दिलाने के लहजे से पूछा था

“उसने लीवर कैंसर बताया था ---पर कई बार मुझे शक होता है |शायद पिंकी से पीछा छुड़ाने के लिए उसने ऐसा कहा हो ---वो पिंकी को पसंद ही नहीं करता |ये तो ये पागल ही है जो उसके लिए घुलती रहती है |”

“डेढ़ साल से ऊपर हो गया |बंदा कोई अच्छा इलाज भी नहीं करा रहा |उसकी आर्थिक हालत भी इतनी अच्छी नहीं है |इसलिए शक तो लाजिमी है |” मैंने अपनी बात जोड़ी

“मुझे तो वो मतलबी और झक्की लगा |----जब उसका मन होगा बात कर लेगा नहीं तो फोन बंद कर  देगा-----पिंकी को बोल भी चुका है की मेरा पीछा छोड़ दे |बस अपनी परेशानियों का रोना रोता है |इसलिए पिंकी कभी उससे अपनी परेशानी शेयर नहीं करती |यहाँ तक की अगर वो किसी से बात करे और इसका फ़ोन नहीं उठाए तो चिढ़ जाता है |”

“इसमें चिढ़ने की बात क्या है ?”

“उसे लगता है की पिंकी उसकी चुगली करती है |उसे पिंकी का मुझसे बात करना भी पसंद नहीं है |एक बार पिंकी मुझसे बात कर रही थी तो पूछने लगा किससे बात कर रही थी |-----जब पिंकी ने कहा तो की निधि से तो बोला चुगली कर रही थी मेरी |पिंकी ने गलती से कह दिया की परेशान थी |उससे परेशानी बाँट रही थी |कई दिनों तक उसका सिर खाता रहा की वो उसे पराया समझती है ----विश्वास नहीं करती वैगरह-वैगरह |”  

“कौन सी परेशानी थी उसे ?”मैंने पूछा

“पिंकी का छोटा भाई घर से भाग गया है | उसे नशे और जुए की लत है |पिंकी के घर पर कुछ लोग धमकी देकर गए हैं| वो जुए में एक लाख हार गया है और वे लोग घरवालों से पैसे लेने आए थे |”

“पर इसमें रवि कर भी क्या सकता है ?”

“कम से कम सुनकर उसके मन का बोझ तो हल्का कर ही सकता है |----मुझे लगता है वो पिंकी को चीट कर रहा है |”

“ऐसा क्यों ?”

“वो दो नम्बरों से व्हाट्सएप्प चला रहा है |उसने पिंकी से दूसरा नम्बर छुपा रखा है | पर एक दिन गलती से उससे पिंकी को संदेश भेज दिया |बाद में कहने लगा की उसके दोस्त का नम्बर है |पर जब हमने उसका नम्बर सेव किया तो डी.पी. पर उसकी फोटों निकली ----पर पिंकी फिर भी उसके लिए पागल है |”

“हो सकता है उसे अपने लिए स्पेस चाहिए हो-----जैसा की तुमने बताया पिंकी उसके लिए पागल है –इसलिए उसने ऐसा किया हो |”

“इसके लिए दूसरा नम्बर लेने और छिपाने की क्या जरूरत है |”

“मैं तुम्हारी बात से सहमत हूँ |व्यस्तता एक मजबूरी होती है पर प्यार करने वाले अपने व्यस्ततम क्षणों से भी समय निकल लेते हैं और जहाँ कुछ छिपाया जाए वहाँ तो फ़रेब ही नजर आता है |”

“वो बेचारी इससे शादी करना चाहती थी |पर इसने बहन की शादी का हवाला देकर बात टाल दी ---कहता है की जब नौकरी तक पक्की नहीं तो शादी कर के क्या होगा |उसका पापा भी बीमार रहता है |ऐसा उसने पिंकी को बताया था |पर फिर भी मैं उस पर यकीन नहीं कर पा रही ”

“क्यों ?”

“पिंकी ने एकबार मुझसे बिना पूछे मेरी फ़ोटो उसे भेजी थी |----तब शायद इन दोनों में वैसा लगाव नहीं था |इसने कहा की निधि तो पक्की नौकरी में है वो कच्चे आदमी से शादी क्यों करेगी ----उस समय वो शादी के लिए मरा जा रहा था |”

“क्या पिंकी और उसकी जाति समान है ?”

“मेरे ख्याल से –क्योंकि पिंकी और मेरी जाति भी एक है |”

“मुझे तो ये सारा मामला अर्थतन्त्र का लगता है |रवि अंधे प्रेम में यकीन नहीं करता |अगर उसे कैंसर न हुआ |अगर वो जीता रहा तो वो ऐसी लड़की से शादी करेगा जो उसकी आर्थिक समस्याओं को कम कर सके |”

“शायद यही बात हो ---सबसे बड़ा रुपैया |” निधि ने सहमति जताई

 

“राहुल ने भी तो इसी वजह से पिंकी को छोड़ा था |है की नहीं ?”

“राहुल का मामला अलग था |वो केयरिंग था और इसे सच्चा प्यार करता था |उसने कभी इसे अँधेरे में नहीं रखा |वो जब तक इसकी जिंदगी में रहा कभी इसे रोने नहीं दिया |पिंकी के जन्मदिन पर उसने उसे बड़ा से टैडी गिफ्ट किया था जो आज भी पिंकी के दुःख-सुख का साथी है | ”

“पर वो भी तो पिंकी को छोड़ गया |”

“उसने पहले ही पिंकी को बता दिया था की वो उससे दोस्ती निभाएगा,प्यार निभाएगा पर शादी नहीं कर सकेगा |वो उसे कॉलेज लाता ले जाता ,फिल्म दिखाता,गिफ्ट देता और फोन पर लम्बी बातें करता |”

“तुमने ही तो बताया था की वो दोनों कई बार राहुल के दोस्त के फ़्लैट में अकेले मिले थे !”

“तो क्या भावनात्मक सम्बन्धों में शरीर का मेल पाप है |तुम ही तो कहते हो की प्रेम राधा-कृष्ण से परिभाषित होता है |मुझे तो लगता है की उनका प्रेम कुछ ऐसा ही था |राहुल कृष्ण की तरह पिंकी के जीवन में रहा और प्रेम की अनुभूति करा के अपनी दुनिया में खो गया |”

“राहुल सिंगापुर गया था ?” मैंने कुछ याद करते हुए पूछा

“गायब होने से पहले उसने पिंकी को ऐसा ही बताया था  |पर तीन महीने बाद उसने पिंकी से मिलने के लिए सम्पर्क किया |मिलने पर उसने पिंकी को बताया की उसकी शादी हो गयी है |पर वह उसे मिस कर रहा था |ये उनकी आखिरी मुलाकात थी|”

“तुम भी तो मिली थी उससे ?”

“पिंकी जब पहली बार उससे मिलने गयी थी तो मुझे भी साथ ले गई थी |वो मूलतः नेपाली पंडित था |बहुत सुंदर और बड़ी सज्जनता से बात करता था -----राहुल ने ही पिंकी को अप्रोच किया था |”

“क्या वो भी तुम्हारे कॉलेज़ में था ?”

“नहीं हमारा कॉलेज ‘सत्यवती महिला कॉलेज’ था |”

“पिंकी को उसका एक पड़ोसी रजत उसके स्कूल के दिनों से ही पसंद करता था |आते-जाते इसके चक्कर लगाया करता था |”

“फिर –“

“उसने पिंकी से दोस्ती की और फिर प्यार का प्रपोज़ल |”

“फिर उनका ब्रेकअप क्यों हुआ ?”

“क्योंकि उसे पिंकी का प्यार नहीं,कुछ और चाहिए था |”

“यह तो सभी प्रेमियों की जरूरत है |शरीर तो मानवीय प्रेम का एक अनिवार्य तत्व है |हम बिना देखे तो किसी को प्यार नहीं करते |प्रेम की शुरुआत शरीर,उसके सौन्दर्य से ही होती है ,भावनाएँ तो उसके बाद पनपती हैं |”

“लेकिन बिना भावनाओं के शरीर का समर्पण तो प्रेम नहीं हो सकता |यह तो केवल भूख मिटाने जैसा हुआ |” निधि ने तर्क किया

“तुम्हारी बात भी सही है पर मुझे यह गलत लगता है की राहुल तुमकों कृष्ण लगता है और रजत/रवि में तुमकों  रावण दिखते हैं ?ये तो पक्षपात है |”

“तुम लड़के हो इसलिए यह बात नहीं समझोगे |-------अधिकतर लड़के लड़की से केवल उसके शरीर के लिए प्रेम का स्वांग रचते हैं |पर जो उनकी भावनाओं को समझता है वो लड़कियों के कृष्ण हो जाते हैं |”निधि ने समझाने की गरज से कहा |

“अच्छा,अब मुझे काम भी निपटाने हैं,ये बहस तो चलती रहेगी |”कहते हुए मैंने फोन रख दिया

 

आज का दिन

मैंने लंच का टिफ़िन खोला ही था की निधि का फ़ोन आ जाता है |

“सुनों,पिंकी की रिपोर्ट पोज़टिव आई है |उसे ब्लड कैंसर है !” मुझे निधि की आवाज़ में उदासी महसूस हो रही थी

“बहुत दुःख की बात है |” मैंने उसे सांत्वना देते हुए कहा

“पिंकी और रवि एक दिन के लिए आगरा गए थे |वहाँ उन्होंने नाईट स्टे किया |वैसे रवि पिछले डेढ़ साल से यही चाहता था |” निधि ने गहरी साँस लेते हुए कहा |

“क्या पिंकी ने रवि को यह बात बताई |”

“हाँ,और यह जानकर वह बहुत रोया |”

“बेचारे,दोनों !”

“रवि को कैंसर नहीं है |”

“क्या !”

“उसकी एक किडनी खराब है |उसने यह बात आगरा में पिंकी को बताई |”

“कमबख्त ये इश्क,ये कैंसर और यह बद्दुआ |” मेरे मुँह से इतना भर निकला  |

सोमेश कुमार(मौलिक एवं अमुद्रित )

 

 

 

 

 

Views: 528

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on May 5, 2018 at 11:19am

जनाब सोमेश कुमार जी आदाब, सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
23 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
23 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"आ. भाई सालिक जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"सतरंगी दोहेः विमर्श रत विद्वान हैं, खूंटों बँधे सियार । पाल रहे वो नक्सली, गाँव, शहर लाचार…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई रामबली जी, सादर अभिवादन। सुंदर सीख देती उत्तम कुंडलियाँ हुई हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Chetan Prakash commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"रामबली गुप्ता जी,शुभ प्रभात। कुण्डलिया छंद का आपका प्रयास कथ्य और शिल्प दोनों की दृष्टि से सराहनीय…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"बेटी (दोहे)****बेटी को  बेटी  रखो,  करके  इतना पुष्टभीतर पौरुष देखकर, डर जाये…"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service