For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भविष्य के जनक [कविता]

जल्दी चलो माँ,जल्दी चलो बावा,

देर होती हैं,चलो ना,बुआ-चाचा,

बन ठनकर हंसते-मुस्कराते जाते,

परीक्षा फल सुनने को अकुलाते,

मैदान में परिजन संग बच्चों का तांता कतार बद्ध थे,

विराजमान शिक्षकों के माथे पर बल पड़े हुए  थे,

पत्रकफल पा,हंसते-रोते ,मात-पिता पास दौड़ लगते,

 भीड़ छट गई,शिक्षकों के सर से बोझ उतर गये,

तभी,तीन बच्चों के साथ महिला इधर आती दिखती,

हाथ जोडकर,दीनभाव से,फेल होने की मजबूरी जताती,

दुखड़ा सुनाती जाती,आंसू बहते जाते,

मजदूरी करके ,पेट काटकर पढाते,

इतना सुन,मेडम गुस्से भरे लहजे मे कहती-

पढने पर ध्यान नही,पीछे बैठ गप लडाती,

कबूल कर,याचना से झोली फैलाती,

पास हो जाती????,खोटी तकदीर बन जाती,

माथा पकड़,कोसती नसीब को,

नही तो,मेरी तरह 'झाडू=पोछा करूंगी ,

दिलासा देकर समझाया-

सब काम धाम छोड़,थोड़ा ध्यान दो....

मिन्नत करने, गिडगिडानेलगी-

बड़ी मेहरवानी होगी,थोड़ी मेहरबानी आप ही कर दो....

ठीक हैं...ठीक हैं...,कहकर पिंड छुडाती.........

हाथ जोडकर,आशाभरी नजरों से वो,चलती बनी......

तभी,शर्मा मेडम बोल पड़ी,समझाने किसे लगी थी....

अपना माथा पच्ची कर,सिरदर्द बढ़ा रही थी.......

अगर,यही पढ़-लिखकर ,अफसर बन जायेंगे,

तो,हम सब के घर, 'वाईयों के तोते'पद जायेगे,

तर्क सम्मत बात सुन, समर्थन में 'हां में हां'मिलाने लगी,

सोलह आने ये सच हैं-----सोझ आने ये सच हैं.....

सब देख सुन,मैं अवाक से मुंह ताकने लगी सबका,

भावी भविष्य जनक की सोच सुन,माथा ठनक गया......

यही कारण हैं,सामाजिक उद्धार सम्भव ही नही,नामुमकिन हैं,

तभी तो,हालत दशकों पूर्व थे,वो आज भी बने हैं.

मौलिक व अप्रकाशित 

बबीता गुप्ता 

Views: 516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 7, 2018 at 1:31pm

प्रयास के लिए बधाई । प्रबुद्ध जनों की सलाह का संज्ञान लें ।

Comment by babitagupta on June 6, 2018 at 4:25pm

आदरणीया मेडम जी,कविता की गहराई मेंसमझने के लिए सधन्यवाद.

Comment by Usha on June 4, 2018 at 6:24pm

आदरणीय सुश्री बबीता जी,
भविष्य के जनक, कविता में आज के पढ़े-लिखे वर्ग की संकीर्ण व् स्वार्थ से परिपूर्ण मानसिकता का सुन्दर चित्रण देखने को मिलता है। इस वर्ग का दायित्वहै स्वयं व् अन्य सभी का उत्थान करना परन्तु यह अत्यधिक दुखद है कि ऐसी सकारात्मक सोच गौण है। अति सुन्दर प्रस्तुति मैडम। बधाई।

Comment by babitagupta on June 4, 2018 at 1:50pm

धन्यवाद, सर जी.गल्तियो की तरफ धयानाकर्षित करने के लिए, 

Comment by Mohammed Arif on June 4, 2018 at 10:08am

आदरणीया बबीता गुप्ता जी आदाब,

                                 (1) अतुकांत कविता कहने का भरसक प्रयास ।

                                   (2)  अतुकांत कविता के पैटर्न का अभाव ।

                                   (3) कविता में गद्यात्मकता का प्रयोग

                                    (4) अतुकांत कविता साधते-साधते गद्य शैली में अपनी बात कहने का प्रयास करना ।

         .                                          हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
15 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service