For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जूठन - लघुकथा –

जूठन - लघुकथा –

 रघुबीर लगभग चालीस का होने जा रहा था  पर अभी तक कुँआरा था। इकलौता बेटा था इसलिये माँ को शादी की बहुत चिंता रहती थी। बाप दो साल पहले मर चुका था| माँ अपने स्तर पर बहुत कोशिश कर चुकी थी लेकिन बेटे की छोटी सी नौकरी के कारण बात नहीं बनती थी।

उसकी पड़ोसन ने बताया कि आज अपनी जाति वालों का सामूहिक विवाह सम्मेलन हो रहा है, अतः बेटे को बुला लो,शायद बात बन जाये।

माँ बेटा समय पर तैयार होकर सम्मेलन में शामिल हो गये। रघुबीर देखने में गोरा चिट्टा स्मार्ट बंदा था। इसलिये एक परिवार ने उसे पसंद कर लिया। उनकी लड़की भी सुंदर थी। वह भी जॉब करती थी। उसकी उम्र भी पैंतीस के आसपास थी। चूँकि दोनों ही पक्षों को लड़के लड़की की बढ़ती उम्र के कारण शादी की जल्दी थी इसलिये ज्यादा गहराई में पूछताछ नहीं हुई।

विवाह की रस्म शुरू करने से पहले  सामूहिक प्रीति भोज का आयोजन था। सब लोग व्यस्त हो गये। रघुबीर भी मदद करने लगा। रघुबीर लोगों की छोड़ी हुई   पत्तलें उठा रहा था। उसकी मंगेतर को अच्छा नहीं लगा,

"यह क्या कर रहे हो तुम। शर्म नहीं आती, लोगों की  जूठन उठा रहे हो"?

"शर्म कैसी?  मेरा तो यह रोजमर्रा का काम है"|

"क्या मतलब। क्या काम करते हो तुम"?

"शहर के सबसे बड़े होटल में वेटर हूँ"|

" मुझे यह रिश्ता मंजूर नहीं है"?

"देखिये, आप थोड़ा जल्दबाजी में निर्णय ले रही हैं। आराम से सोचिये ? हम दोनों का काम लगभग एक जैसा ही है।

“क्या बेतुकी बात कर रहे हो? तुम्हें पता भी है मैं कितनी बड़ी कलाकार हूँ? बहुत शीघ्र मुझे फ़िल्म में काम मिलने वाला है"।

“सुनिये, भविष्य में क्या होगा, कोई नहीं जानता? कल को तो मैं भी हीरो बन सकता हूँ"।

"कल की छोड़ो, आज की बात करो"?

"वही तो आपको समझा रहा हूँ। आज की तारीख में, मैं जिस होटल में वेटर हूँ, आप भी उसी होटल की बीयर बार में नाचती गाती हो"।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 971

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on June 11, 2018 at 6:32pm

हार्दिक आभार आदरणीय सतविन्द्र कुमार राणा जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on June 11, 2018 at 6:31pm

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on June 11, 2018 at 6:30pm

हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' जी।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 10, 2018 at 1:50pm

बहुत खूब . दिखावे में जीने वाले लोगों पर सटीक तंज. बधाई आ तेजवीर जी 

Comment by vijay nikore on June 10, 2018 at 1:14am

बहुत ही सुन्दर लघु कथा के लिए बधाई

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 9, 2018 at 2:31pm

वाह आदरणीय बहुत ही खूब सारगर्भित सन्देश दिया है लघु कथा के माध्यम से..हार्दिक बधाई

Comment by TEJ VEER SINGH on June 8, 2018 at 9:53pm

हार्दिक आभार आदरणीय महेंद्र जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on June 8, 2018 at 9:52pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीलम जी।

Comment by Mahendra Kumar on June 8, 2018 at 11:27am

झूठे आडम्बर पर कटाक्ष करती एक बेहतरीन लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीय तेज वीर सिंह जी. सादर.

Comment by Neelam Upadhyaya on June 8, 2018 at 11:13am

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, नमस्कार । समाज में व्याप्त दिखावा और आडंबर पर कटाक्ष करती सुंदर लघुकथा । प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
33 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
yesterday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service