आपसी सहयोग - लघुकथा –
साहित्यकार तरुण घोष के नवीनतम लघुकथा संग्रह "अपने मुँह मियाँ मिट्ठू" को वर्ष -2018 का सर्वश्रेष्ठ लघुकथा संग्रह चुना गया और साहित्य जगत का सबसे प्रतिष्ठित सम्मान "सूक्ष्मदर्शी" दिया गया।
यह समाचार मिलते ही उनकी प्रिय लेखनी अत्यधिक वाचाल हो गयी। सुबह से बस एक ही गुणगान किये जा रही थी,
"देखा, मेरी ताक़त को, क़माल की शक्ति और सोच है मेरे पास। आज मेरे कारण साहब का मस्तक सातवें आसमान पर है"।
घोष साहब की लिखने की मेज पर मौजूद स्याही की दवात, लिखने का पैड, अलार्म घड़ी, टेबल कलेंडर और कुछ पुस्तकें, कलम का यह बचकाना बखान चुपचाप सुन रहे थे।
जब इस बखान की अति हो गयी तो स्याही की दवात ने मुँह खोला,
"अब बस भी करो कलम महारानी। बहुत हो गयी आत्म प्रशंसा"?
"क्यों जलन हो रही है"?
"जलन और तुमसे? यह मेरे स्वभाव में ही नहीं है"?
"अगर जलन होगी भी तो मेरा क्या बिगाड़ लोगी। तुमने देखा ही है कि साहब मुझे हर वक्त अपने साथ, अपने दिल के पास वाली जेब में रखते हैं"।
"वह सब तो ठीक है, मगर तुम यह क्यों भूल जाती हो कि बिना मेरी स्याही के तुम एक इंच भी नहीं चल सकतीं"?
कलम और स्याही की दवात की यह बहस चल ही रही थी कि लैटर पैड में से एक सफ़ेद कागज बाहर आकर दोनों के मध्य खड़ा हो गया,
"क्या महत्व है तुम दोनों का, बिना मेरे योगदान के? यह एक अमिट सत्य है कि कलम दुनियाँ का सबसे ताक़तवर हथियार है लेकिन स्याही और कागज़ के बिना मात्र एक खिलौना"।
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे जी।
अच्छा संदेश देती इस रचना के लिए हार्दिक बधाई, आ० तेज वीर सिंह जी।
हार्दिक आभार आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी ।
आदरणीय तेजवीर जी सहयोग के बिना वाकई कुछ संभव नहीं है सार्थक सन्देश देती आपकी इस रचना के लिए हार्दिक बधाई गहन बातो को इतनी सादगी और सरलता से अभिव्यक्ति करने का आपका हुनर मुझे बेहद प्रभावित करता है।।सादर
हार्दिक आभार आदरणीय नीलम उपाध्याय जी।
हार्दिक आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी।
हार्दिक आभार आदरणीय बबिता गुप्ता जी।
आदरणीय तजवीर सिंह जी, आपसी सहयोग के महत्व का संदेश देती अच्छी लघुकथा । प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ।
जीवन में आपसी सहयोग के महत्त्व को दर्शाती बढ़िया लघुकथा है आदरणीय तेज वीर सिंह जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
लघु कथा के माध्यम से आपसी सहयोग के बिना जीवन निस्सार ,अच्छा संदेश दिया हैं.प्रस्तुत रचना के लिए बधाई.
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