For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुद्दतों बाद जब देखा उन्हें तो,
कुछ हुआ ऐसा-
जो रखने राज थे,
उनका भी हम इज़हार कर बैठे।।

तमाम उम्र से ज़ुल्मत भरी,
आँखों में थी लेकिन-
वो होकर रूबरू,
दीदा-ए-नम बेदार कर बैठे।।

अभी तक जो किया करते थे,
बस तक्ज़ीब उल्फत को-
पशेमाँ हो गये अब,
वो जो हमसे प्यार कर बैठे ।।

मुसलसल खुद हमें ताका किये,
वो शोख नज़रों से-
जो खोले लव,
फकत एक बोस पर तकरार बैठे ।।

बेसबब तोहबतें हम पर लगाकर,
हो गये सादिक-
मुक़द्दस इश्क का,
इग्माज सरे आम कर बैठे।।

कहीं हर्बा छुपाया था,
कि वो नश्तर भी लाये थे-
हमें मालूमहुआ,जब वो-
जिगर के पास कर बैठे ।।

बारहा हम ही तलबगार थे,
- उस चाँद पर जायें,
मिलाके अर्श से हमको-
गजब वो यार कर बैठे ।।

( मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 705

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रक्षिता सिंह on June 12, 2018 at 10:29am

आदरणीय विजय जी नमस्कार, आपकी शिर्कत और रचना पर प्रतिक्रिया के लिए तहेदिल से शुक्रिया ।

Comment by vijay nikore on June 12, 2018 at 9:53am

अति सुन्दर रचना ! हार्दिक बधाई, रक्षिता जी।

Comment by रक्षिता सिंह on June 8, 2018 at 2:04pm

आदरणीय महेन्द्र जी नमस्कार, गजल पसंद करने के लिए शुक्रिया ...लिखना सार्थक हुआ।

Comment by Mahendra Kumar on June 8, 2018 at 1:27pm

अच्छी भावाभिव्यक्ति है आदरणीया रक्षिता जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by रक्षिता सिंह on June 8, 2018 at 11:11am

आदरणीया नीलम जी, नमस्कार।

हौसला अफजाई के लिए तहेदिल से शुक्रिया ।

Comment by Neelam Upadhyaya on June 8, 2018 at 10:55am

आदरणीया रक्षिता जी, नमस्कार । खूबसूरत रचना के लिए बधाई स्वीकार करें ।

Comment by रक्षिता सिंह on June 8, 2018 at 9:24am

आदरणीय मोहित जी नमस्कार,

गजल में  आपकी शिर्कत के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।

बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ " हमें बस प्रीत है लिखना हमें बस प्यार है भरना"।।

Comment by रक्षिता सिंह on June 7, 2018 at 7:19pm

आदरणीय आरिफ जी , नमस्कार !

बहुत ही खूबसूरत शब्दों में प्रतिक्रिया दी आपने।

बहुत बहुत धन्यवाद !

अपने पिछले पोस्ट पर मैंने आपकी प्रतिक्रिया  पर उत्तर दिया था, वो मुझे लेटेस्ट एक्टीविटी में नजर क्यों नहीं आ रहा?

Comment by Mohammed Arif on June 7, 2018 at 6:16pm

आदरणीया रक्षिता जी आदाब,

                         प्रेम का एक और धमाका कर बैठे

                           घर बार हम भी जला बैठे

                             राज़ सारे ज़माने को बता बैठे

                             बैठे ठाले एक रोग लगा बैठे

                              अभी-अभी तो जीना सीखा है

                             ये कौन सी दीवानगी कर बैठे

                              देखो, बारिश का सिलसिला शुरू हो गया

                               अभी से सावन की रट लगा बैठे

                                 क्या इतना भी बुरा है ज़माना

                                  हम फिर ज़माने से बग़ावत कर बैठे

                                   इतना आसाँ नहीं किसी को अपना बनाना

                                    लेकिन हम नादाँ उसे अपना समझ बैठे

                                                                    हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Friday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Mar 6
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service