बड़े ही तैश में आकर'
उसने मेरे खत लौटा दिये...
वो अँगूठी !
वो अँगूठी भी उतार फेंकी-
जिसे आजीवन,
पास रखने का वादा किया था उसने!
कभी ईश्वर को साक्षी मानकर-
एक काला धागा,
पहनाया था उसने मुझे-
"अब तुम मेरी हो चुकी हो "
फिर ये कहकर,
बाहों मे भर लिया था...
आज,फर्श पर कुछ मोती-
औंधे पड़े हैं....
उस काले धागे के साथ !
एक तस्वीर थी जो,
साथ में -
आज उसे भी,
माँग बैठा था वो....
बड़ी सफाई से-
दो टुकड़े किये थे उसने,
मगर फिर भी,
उसके कंधे पर मेरा हाथ रह गया !
मेरे अश्कों का-
ज़रा सा भी,
असर ना हुआ उस पर...
बड़ी हैरान रह गयी -
उसका ये रूप देखकर !
शायद, किसी जल्दी में था...
बार-बार उसकी नज़र,
घड़ी पर जो,जा रही थी !
फिर अगले ही पल -
उसने अपनी कलाई से घड़ी निकाली,
और ये कहते हुए मेज पर रख दी, कि -
"तुम्हारी हर चीज लौटा दी है मैंने...."
वो खत...
वो अँगूठी...
तुम्हारी तस्वीर...
और ये घड़ी !!
अभी भी कुछ बाकी हो तो ...
(झटके में जेब से बटुआ निकालकर,
नोट गिनने लगा था वो )
कितना आसान था उसके लिए ये कह देना, कि
" तुम्हारी हर चीज लौटा दी मैंने "
मैं स्तब्ध सी रह गयी...
बहुत शोर था अन्दर -
पर कुछ न कह सकी !!
इस एक पल में,
मेरी जिंदगी भर का-
जो सुकून छिन गया था....
क्या वो लौटा सकता था ?
मेरी आँखों की चमक,
मेरे होठों की हँसी....
क्या वो लौटा सकता था ?
उन चंद नोटों से,
मेरी खोयी आश....
क्या वो लौटा सकता था ?
नींद*
जो मेरी आँखों से,
रूठ कर चली गयी थी....
क्या वो लौटा सकता था ?
( मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय आरिफ जी, नमस्कार
प्रतिक्रिया देते हुए आपने बहुत ही खूबसरत पंक्तियाँ लिखीं...
"मेरी हर चीज़ को लौटाना कितना आसान बना दिया
बरसों का रिश्ता आज अंजान बना दिया"
बहुत बहुत धन्यवाद ।
मेरी हर चीज़ को लौटाना कितना आसान बना दिया
बरसों का रिश्ता आज अंजान बना दिया
चीज़ों को लौटाने से रिश्ते खत्म नहीं
जो दिल में बैठ गए वो निकल नहीं सकते
लौट आओ अभी समय भी अच्छा है
बारिश की बूँदों ने भी दिल को छुआ है
नादानियाँ बेशक आवारा होती है
भला दिल पर किसी की चली है
चले भी आओ कि अभी कुछ नहीं बिगड़ा है
तुम्हारे प्यार के इंतज़ार में हर पल तन्हा खड़ा है
.
हार्दिक बधाई आदरणीया रक्षिता जी ।
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