(मफाइलुन _फ इलातुन_मफाइलुन_फ इलुन)
न मुँह को फेर के यूं आप जाएं ईद के दिन |
मेरे गले से लगें या लगाएँ ईद के दिन |
अकेले हम ख़ुशी कैसे मनाएँ ईद के दिन |
ख़ुदा क़सम वो बहुत याद आएँ ईद के दिन |
जो पिछले साल थाशामिल हमारी खुशियों में
उसी हसीन की यादें सताएँ ईद के दिन |
गरज़ है क्या भला हम साया ग़ैर मुस्लिम है
उसे बुलाके सिवइयाँ खिलाएँ ईद के दिन |
ख़ुदा ने अर्श से भेजा है तुहफा फरहत का
न दिल किसी भी बशर का दुखाएँ ईद केदिन |
वतन में एकता क़ायम हो भाई चारा बढ़े
ख़ुदा से मांगिए मिल कर दुआएँ ईद के दिन |
कहीँ न फोड़ लूँ आंखें मैं देख कर मंज़र
उदास शक्ल न मुझको दिखाएँ ईद के दिन |
किया जो वादा मुलाक़ात का कभी हम से
उसे तो आप खुदारा निभाएँ ईद के दिन |
जो मुद्दतों से है तस्दीक आप से रूठा
उसे गले से लगा कर मनाएँ ईद के दिन |
{मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,ईद के मौक़े पर अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
दूसरे शैर के ऊला मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर देखें 'हम मनाएं' ।
तीसरे शैर के ऊला मिसरे में 'पिछली' शब्द को "पिछले" करना मुनासिब होगा ।
मुह तरमा नीलम साहिबा , ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया , ईद की मुबारक बादी और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |
आदरणीय तस्दीक अहमद साहब। ईद की बहुत बहुत मुबारकबाद।बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है। हार्दिक बधाई।
जनाब श्याम नारायण साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया | ईद की मुबारक बादी का बहुत बहुत शुक्रिया |
ग़ज़ल के लिये दिली दाद कुबूल करिये । ईद की ढेरों मुबारकबाद ....सादर । |
मुहतरम जनाब आरिफ साहिब आ दाब, ईद की ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया | मेरी तरफ़ से आप को ईद बहुत बहुत मुबारक हो |
आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब,
बहुत ही शानदार ईद का तोहफ़ा । शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद और ईद की मुबारकबाद ।
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