22 22 22 22
गाता जाए एक दिवाना
दुनिया यारो पागलखाना
परदेश बनाया घर लेकिन
घर मे कम है एक सयाना
इससे आगे सोच ना पाऊं
बीबी बच्चे और ठिकाना
केक खिलाया साल बढ़ाए
भूल गया पर उम्र घटाना
एक शिगूफा छोड़ेगा फिर
अबके राजा भौत सयाना
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
शुक्रिया एक नई जानकारी के लिए,,,,,,
न (फ़ारसी शब्द ) नून और हे से बना है जिसमें मात्रा गिनते वक़्त हे गिर जाता है और मात्रा 1 रह जाती है | ना (हिंदी शब्द) जिसकी मात्रा 2 होती है ,
न और ना मतलब एक जैसा है |
गुमनाम साहिब, न की मात्रा 1 और ना की 2 होती है |
तस्दीक अहमद साहब शुक्रिया आपने ग़ज़ल पर अपनी राय दी ,,,,, न हो या ना मात्रा 1 ही रहती है।।।।। शायद मैं ठीक हूँ ।।।।।
जनाब गुमनाम साहिब , ग़ज़ल की अच्छी कोशिश, मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं | जनाब समर साहिब के मशवरे पर ग़ौर कीजियेगा | शेर 3 के ऊला मिसरे में एब _तना फुर है (इस _से) इसकी जगह इसके कर सकते हैं | न को ना करने पर मात्रा बढ़ जाएगी |
शुक्रिया रक्षिता जी आपको ग़ज़ल अच्छी लगी।।।।।।।
आदरणीय गुमनाम जी नमस्कार, सुन्दर पंक्तियाँ हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
शुक्रिया दोस्तो ....आपके सुझाव का धन्यवाद.... न और ना एक है इसीलिए .....ना ही कहा।
बहुत खूब...
जनाब गुमनाम जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
'परदेश बनाया घर लेकिन'
ये मिसरा मात्रा के हिसाब से ठीक है,लेकिन लय में नहीं है,इसे यूँ कर सकते हैं:-
'घर परदेस बनाया लेकिन'
तीसरे शैर के ऊला मिसरे में 'ना' को "न" कर लें ।
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