For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पास रहते लोग से हम दूर कितने हो गए

2122   2122     2122     212

दूरियां नजदीकियां बन तो गयी हैं आजकल

पास रहते लोग से हम दूर कितने हो गए

 

माँ पिता सारे मरासिम गुम  हुए इस दौर में  

रोटियों के फेर में मजबूर कितने हो गए

 

भूल जाओगे मुझे तुम एक दिन मालूम था

इश्क में मेरे मगर मशहूर कितने हो गए

 

पत्थरों पर सर पटककर फायदा कोई नहीं

उसके दर पर ख्वाब चकनाचूर कितने हो गए

 

रात काली नागिनों सी डस रही है आजकल

हमनशीं थे कल तलक मगरूर कितने हो गए

 

जो चमकते चाँद से रहते सदा ही शादबां

इश्क से चूके तो वे बेनूर कितने हो गए

 

टीन के खाली कनस्तर की तरह थे बज रहे

मिल गयी कुर्सी उन्हें भरपूर कितने हो गए

 

देती है ताक़त सियासत जम्हूरियत में इस कदर 

बन गए नेता तो वे मख्मूर कितने हो गए

 

मुफलिसी में इश्क का नीरज  मज़ा कुछ और है

हाथ खाली भी मिले मसरूर  कितने हो गए

 

था कतल का काम जिनका बस चुनावों से कबल  

जीत कर वो आये हम मश्कूर कितने हो गए 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

Views: 868

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neeraj Neer on June 29, 2018 at 1:33pm
हार्दिक आभार आप सभी महानुभावों का
Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 29, 2018 at 12:08pm
आदरणीय नीरज जी इस बढ़िया रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर
Comment by रक्षिता सिंह on June 27, 2018 at 1:50pm

आदरणीय नीरज जी

नमस्कार बहुत ही खूबसूरत गजल ...मुबारकबाद कुबूल फरमायें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 26, 2018 at 8:43pm

आ. भाई नीरज जी, अच्छे असआर हुये हैं हार्दिक बधाई।

Comment by Neeraj Neer on June 26, 2018 at 8:37pm

हार्दिक आभार जनाब समर साहब  .... 

Comment by Samar kabeer on June 26, 2018 at 11:20am

आपने जो मिसरा लिखा है वो शिल्प और व्याकरण की दृष्टि से ठीक नहीं'चुनआव' कोई शब्द नहीं है,इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-

'क़त्ल करना काम था जिनका हमेशा दोस्तो'

Comment by Neeraj Neer on June 25, 2018 at 10:49pm
जनाब समर साहब उसको इस तरह करने की कोशिश की है
क़त्ल का था काम जिनका क़ब्ल बस चुनआव के
Comment by Samar kabeer on June 25, 2018 at 10:18pm

अब जबकि आपका संदेह दूर हो गया तो,आख़री शैर के ऊला मिसरे को कैसे दुरुस्त करेंगे?

Comment by Neeraj Neer on June 25, 2018 at 8:55pm

आदरणीय सुशिल सरना जी आपका आभार 

Comment by Neeraj Neer on June 25, 2018 at 8:55pm

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी आपका आभार 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय जज़्बातों से लबरेज़ अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। मतले पर अच्छी चर्चा हो रही…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"//मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक अलग तह बन के रहती है// मगर.. मलाई अपने आप कभी दूध से अलग नहीं होती, जैसे…"
2 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 179 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"बिरह में किस को बताएं उदास हैं कितने किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितने सादर "
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"सादर नमन सर "
6 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi updated their profile
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब.दूध और मलाई दिखने को साथ दीखते हैं लेकिन मलाई हमेशा दूध से ऊपर एक…"
11 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"धन्यवाद आ. लक्षमण धामी जी "
11 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय, बृजेश कुमार 'ब्रज' जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
13 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"इतने वर्षों में आपने ओबीओ पर यही सीखा-समझा है, आदरणीय, 'मंच आपका, निर्णय आपके'…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service