दुर्मिल सवैया
अबला नहिं आज रही महिला, सबला बन राज करे जगती।
मुहताज नहीं सब काज करे, मन ओज अदम्य सदा भरती ।।
धरती नभ नाप रही पल में, प्रतिमान नये नित है गढ़ती।
यह बात सभी जन मान गये, अब नार नहीं अबला फबती।१।
परिधान हरा तन धार खुशी, ललना गल धीरज हार गहा।
सिर बाँध दुकूल उमंग नया, मन केशरिया रँग आज लहा।।
शुभ कंगन साहस हाथ भरा, मुख आस सुहास विराज रहा।
पथ उन्नति एक चुना उसने, बिसरे सब पंथ विराग दहा।२।
वसुधा हरसी लखि शान लला, सरसी नभ भोर उजास सनी।
सँवरी खुशहाल धरा विहँसी, महकी सरसों खिल पीत घनी।।
महिला यह चालक ट्रैक्टर की, फिर भारत शान मिसाल बनी।
ढलती रही कालनुसार सदा, वसुधा करती निज नाम धनी।३।
-मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय सुरेन्द्रनाथ जी नहीं को नहिं लिखना सवैया विधान अनुसार मान्य है इस सन्दर्भ में अधिक जानकारी मंच के पटल पर भारतीय छंद विधान सवैया अंतर्गत उपलब्ध है सादर
हृदयतल से आभार आदरणीय सुरेन्द्रनाथ जी प्रस्तुति पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने के लिए,सादर नमन
हृदयतल से आभार आदरणीय बृजेश कुमार जी प्रस्तुति पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने के लिए,सादर नमन
हृदयतल से आभार आदरणीया नीलम जी प्रस्तुति पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने के लिए,सादर नमन
हृदयतल से आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी प्रस्तुति पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने के लिए,सादर नमन
हृदयतल से आभार आदरणीय श्यामनारायण जी प्रस्तुति पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने के लिए,सादर नमन
हृदयतल से आभार आदरणीय समर कबीर जी प्रस्तुति पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने के लिए,सादर नमन
आद0 सत्य नारायण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भाव प्रधान सवैया।। इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिये।
एक प्रश्न है,, क्या नहीं को नहि लिखना सही है??
बहुत ही उत्तम और सरस भाव से परिपूर्ण छंद लिखे हैं आदरणीय..वाह
आदरणीय सत्यनारायण जी, नमस्कार । बहुत ही सुन्दर छंद की प्रस्तुति के लिए बधाई।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online