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बारिश की क्षणिकाएँ


(1) बूँदें नहीं
चाँदी के सिक्के गिरते हैं
बादलों की झोली से
और धरती लूट लेती है ।
*******
(2) वर्षा कुबेर
दोनों हाथों से लुटाता है
वर्षा -धन
नदियाँ, सरोवर और तालाब
लूटकर संग्रहित कर लेते हैं ।
*******
(3) बारिश की आत्मकथा
साल भर लिखते रहते हैं
पेड़-पौधे और हरियाली ।
*******
(4) बारिश की बूँदें
नई धुनें
तैयार करने लगती है
राग-मल्हार के लिए ।
*******
(5) बारिश का
अहसास कब होता है ?
जब अवचेतन में बसी नदी
उफनने लगती है ।
*******
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 918

Comment

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Comment by Mohammed Arif on July 18, 2018 at 8:39am

हार्दिक आभार आदरणीय विजय शंकर जी ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 18, 2018 at 7:55am

बारिश की आत्मकथा
साल भर लिखते रहते हैं
पेड़-पौधे और हरियाली।
बहुत खूब , बधाई, आदरणीय मोहम्मद आरिफ जी, सादर।

Comment by Mohammed Arif on July 18, 2018 at 7:51am

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोर जी ।

Comment by Mohammed Arif on July 17, 2018 at 6:02pm

हार्दिक आभार आदरणीया बबीता गुप्ता जी ।

Comment by Mohammed Arif on July 17, 2018 at 5:59pm

हार्दिक आभार आदरणीय श्याम नारायण जी ।

Comment by Mohammed Arif on July 17, 2018 at 5:58pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुशील सरना जी ।

Comment by Mohammed Arif on July 17, 2018 at 5:58pm

हार्दिक आभार आदरणीय श्याम नारायण जी ।

Comment by Mohammed Arif on July 17, 2018 at 5:57pm

हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर जी ।

Comment by babitagupta on July 17, 2018 at 5:55pm

आखिरी पंक्तियाँ बेहतरीन ,वर्षा रानी का एहसास तो वास्तव में तभी होता हैं.हार्दिक बधाई उम्दा रचना के लिए आदरणीय आरिफ सरजी।

Comment by Mohammed Arif on July 17, 2018 at 5:55pm

हार्दिक आभार आदरणीया नीलम उपाध्याय जी ।

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