For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 

बड़े जतन से सिले थे’ माँ ने, वही बिछौने ढूँढ रहा हूँ

ढूँढ रहा हूँ नटखट बचपन, खेल-खिलौने ढूँढ रहा हूँ

 

नदी किनारे महल दुमहले, बन जाते थे जो मिनटों में

रेत किधर है, हाथ कहाँ वो नौने-नौने ढूँढ रहा हूँ

 

विद्यालय की टन-टन घंटी, गुरुवर के हाथों में संटी

बरगद वृक्ष तले भंडारे, पत्तल दौने ढूँढ रहा हूँ

 

डाँट-डपट सँग रूठा-राठी, मीठी-मीठी लोरी माँ की   

बुरी नजर का काला धागा, कहाँ डिठौने ढूँढ रहा हूँ

 

चार-चार दिन की बारातें, पंगत में गारी से बातें

मधुर मिलन वो हँसी-ठिठोली, स्वप्निल गौने ढूँढ रहा हूँ

 

कल-कल करते झरने नदिया, साँझ समय बहती पुरवाई

वन में निडर कुलाँचें भरते, वो मृग-छौने ढूँढ रहा हूँ

 

सारा जीवन बीत चला है, अमृत का घट रीत चला है  

सौंधी-सौंधी माटी का घर, स्वप्न सलौने ढूँढ रहा हूँ

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Views: 799

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 24, 2018 at 12:41pm

आदरणीय  Gurpreet Singh  जी आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by Gurpreet Singh jammu on July 23, 2018 at 2:26pm

इस खूबसरत ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय बसंत कुमर शर्मा जी 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 23, 2018 at 12:16pm

आदरणीय Samar kabeer जी आपके आशीष को सादर नमन, अप्रतिम सुझाव 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 23, 2018 at 12:15pm

आदरणीया  Neelam Upadhyaya जी आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 23, 2018 at 12:14pm

आदरणीय Shyam Narain Verma जी आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 23, 2018 at 12:14pm

आदरणीय Mohammed Arif जी आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 23, 2018 at 11:26am

आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 23, 2018 at 11:26am

आदरणीय somesh kumar  जी आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by बसंत कुमार शर्मा on July 23, 2018 at 11:26am

आदरणीय TEJ VEER SINGH जी आपका दिल से शुक्रिया 

Comment by Samar kabeer on July 20, 2018 at 12:04pm

जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,मात्रिक बह्र(बह्र-ए-मीर) में अच्छी ग़ज़ल कही आपने,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

मतले का ऊला मिसरा यूँ कर लें तो ऊला और सानी में 'कहाँ'शब्द की तकरार ख़त्म हो जायेगी:-

'सिले थे माँ ने बड़े जतन से,वही बिछौने ढूँढ़ रहा हूँ'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
9 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service