रोज ही भाव-ताव होना है
जानता हूँ चुनाव होना है
पाँच वर्षों में’ भर गया वो तो
फिर नया एक घाव होना है
कूप सड़कों पे’ बन गये अनगिन
उनका अब रखरखाव होना है
कौन कितना कहाँ से लायेगा
जोड़ना है घटाव होना है
धर्म के हो गए हैं’ गठबंधन
जातियों का जुडाव होना है
शांति हमको कहीं नहीं भाती
हर जगह अब तनाव होना है
गाल हैं ये गरीब के, इन पर
आँसुओं का बहाव होना है
"मौलिक एवं अप्रकाशित"
Comment
आदरणीय Dr Ashutosh Mishra जी दिल से शुक्रिया आपका
आदरणीय Samar kabeer जी आपका सदैव स्वागत है , सादर नमन
इस उम्दा ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय भाई बसंत जी सादर
मेरे कहे को मान देने के लिए धन्यवाद ।
आदरणीय Samar kabeer जी आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया एवं सुझाव को सादर नमन, उत्तम रहेगा , अभी सुधार लेता हूँ
जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।
अब उनका रखरखाव होना है'
ये मिसरा लय में नहीं है,यूँ कर सकते हैं :-
'उनका अब रखरखाव होना है'
आदरणीय gumnaam pithoragarhi जी दिल से शुक्रिया आपका
आदरणीय TEJ VEER SINGH जी दिल से शुक्रिया आपका
आदरणीय Shyam Narain Verma जी दिल से शुक्रिया आपका
आदरणीया Neelam Upadhyaya जी दिल से शुक्रिया आपका
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