For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ज़माने की जहालत कम नहीं थी,
इधर अपनी बग़ावत कम नही थी..

लिये ख़ंजर वो देखो ताक में हैं,
हमारी जिस को चाहत कम नहीं थी..

सभी की थी दिखावे की मुहब्बत,
दिलों में वैसे नफ़रत कम नहीं थी..

जहाँ पर ज़िन्दगी की खुशबुएं थी,
उसी महफ़िल में ग़ीबत कम नहीं थी..

हमारे पास रुसवाई की दौलत,
अरे उनकी बदौलत कम नहीं थी..

तुम्हारे पास था ये दिल अमानत,
अमानत में ख़यानत कम नहीं थी..

नहीं था आशना दिल इश्क़ से जब,
बड़ी फ़ुर्सत थी फ़ुर्सत कम नहीं थी..

वो पत्थर था मगर था ख़ूबसूरत,
उस पर भी नज़ाकत कम नहीं थी..

ज़रा सी शेख़ जी को भी चखाते,
शराब ए नाब नुदरत कम नहीं थी..

मुझे सोने में तुलते देखते हो,
मुझे मिट्टी की अज़मत कम नहीं थी..

ग़ज़ल ख़ुद कह के पढ़ना चाहता था,
मगर इसमे भी मेहनत कम नहीं थी..

दिया ज़ोहेब आंधी में जलाते,
हवा की यार दहशत कम नहीं थी..!!

मौलिक एवं अप्रकाशित।

Views: 648

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Zohaib Ambar on August 3, 2018 at 6:37pm
बहुत बहुत शुक्रिया जनाब समर कबीर साहब, ऐसे ही कर लिया जायेगा।
Comment by Samar kabeer on August 3, 2018 at 6:18pm

//लिये ख़ंजर वो मेरी ताक में हैं//

इस मिसरे को यूँ कर लें ऐब निकल जायेगा:-

'लिये ख़ंजर वो देखो ताक में है'

//दिखावे की मुहब्बत थी सभी की//

इस मिसरे को यूँ कर लें,ऐब निकल जायेगा : 

'सभी की थी दिखावे की महब्बत'

//जहाँ पर खुशबुएँ थीं ज़िन्दगी की//

इस मिसरे को यूँ कर लें ऐब निकल जायेगा :-

'जहाँ पर ज़िन्दगी की खुशबुएँ थीं''

//कहाँ रुसवाई की थी तंग दस्ती//

इस मिसरे को यूँ कर लें ऐब निकल जायेगा :-

'हमारे पास रुस्वाई की दौलत'

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 3, 2018 at 3:24pm

भाई जोहेब जी इस प्रयास के लिए हार्दिक बधाई ...सादर 

Comment by Zohaib Ambar on August 3, 2018 at 1:16pm

मोहतरम जनाब समर कबीर जी इस्लाह के लिये बेहद मशकूर ओ ममनून हूँ, दरअसल मैं शायरी के अलिफ बे से वाकिफ नही बस शौकिया कुछ कहने की कोशिश करता रहता हूँ और गुनगुना कर देख लेता हूँ कि अटक तो नहीं आ रही।

इसके अलावा अब ग़ज़ल की बारीकियां फोरम पर पढ़नी शुरू की हैं इंशाअल्लाह आगे पूरा ध्यान दूंगा।

Comment by Samar kabeer on August 3, 2018 at 11:45am

जनाब ज़ोहेब साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

दूसरे शैर में शुतरगुर्बा दोष है ।

तीसरे,चौथे और पांचवें शैर में तक़ाबुल-ए-रदीफ़ देखें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
13 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service