For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"वो रात फिर कभी नहीं आयेगी!" (लघुकथा)

भारी बारिश हो रही थी। बगीचे की टीन-शेड के नीचे बच्चे भीगे मौसम के साथ झूले के मज़े ले रहे थे। गरम पकोड़ों का लुत्फ़ लेते हुए उनके अब्बूजान अपने पुराने से अज़ीज़ ट्रांजिस्टर पर मुल्क की चुनावी राजनीतिक हलचलों, बाढ़ों के क़हर और तबाहियों के गरम समाचार सुन रहे थे । बच्चों की अम्मीजान भी समाचारों को झेल रहीं थीं। तभी बड़ी बेटी बोली - "अब्बू! ख़ुदा न करे! अगर नेताओं और अंग्रेज़ों के 'रिमोट कंट्रोल' से '1947 की रात' जबरन दुबारा रिपीट की गई और मुसलमानों को अलग किसी हिस्से में हांका गया, तो आप कहां तशरीफ़ ले जायेंगे?"
"ला.. हौल वाला कुव्वत...!" अब्बूजान ने आसमां पर 'ग़रजते' बादलों और चमकती 'धमकाती' सी 'बिज़लियों' की और देखते हुए पास ही बैठी अपनी बीवी से कहा - "बेगम! बंद तो करवाओ इनका टीवी देखना और अख़बार पढ़ना!" फिर बिटिया को जवाब देते हुए बोले - "एक तो ऐसा कभी होगा ही नहीं! अगर हुआ तो हमारा संविधान और क़ानून जो हुक्म देगा, वही हमें करना ही होगा न!"
"लेकिन मैं तो अपने इसी वतन में रुकी रहूंगी!"
"धत तेरे की!" बिटिया की बात पर झुंझलाकर अम्मीजान बोलीं - "तो क्या उनके मुताबिक जयकारा और प्रार्थनाएं करती रहेगी यहां!"
"अरे अम्मी! बाजीजान बुद्धू थोड़ी न हैं ! कुछ फेमस मुस्लिम नेताओं, मुख्यमंत्रियों और फ़िल्मी-हस्तियों की तरह उन थोपी गई जयकारों और प्रार्थनाओं के ठीक पहले मन में अल्ला मियां से वे भी मुआफ़ी मांग लेंगी शरिअ़त के ख़िलाफ़ होने को मज़बूर करने वाले उन 'शैतानों' और 'पापियों' के हक़ में मुआफ़ी की दुआएं मांगते हुए! है न बाजीजान!" झूले से कूंदते हुए भाई बोला - "कहते हैं न कि अल्लाह बहुत बड़ा है! मज़बूर सताये गये लोगों की 'सच्चे दिल से मांगी गई दुआएं' ज़ल्दी कबूल करता है 'इम्तिहान' लेने के बाद!"
"सही कहा भैया! हम 'वतनपरस्ती' अपने तरीक़े से ज़ाहिर करेंगे 'जम्हूरियत' के क़ायदे-क़ानून से और अपने 'मज़हब' मुुुुताबिक! ... और रहेंगे इसी गंगा-जमुनी हिस्से में! देख लेना अधिकतर मुसलमान 'पुरानी ग़लतियां' नहीं दोहरायेंगे!"
"आमीन, सुम्मा आमीन! इंशा'अल्लाह! ऐसा ही होगा बेटा!" अब्बूजान ने दोनों बच्चों के सिरों पर हाथ फेरते हुए कहा।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 658

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 13, 2018 at 8:52pm

मेरी इस रचना पर समय देकर  अपने विचार सांझा करते हुए मुझे प्रोत्साहित करने हेतु सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'  साहिब , आदरणीय समर कबीर साहिब और आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब।

Comment by Samar kabeer on August 27, 2018 at 3:09pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on August 26, 2018 at 4:51pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।आज के राजनैतिक माहौल के बारे में बेहद गंभीर लघुकथा।वर्तमान नेता लोग जिस प्रकार आग में घी डालकर देश का भाई चारा बिगाड़ रहे हैं, आम जन हर वक्त शंकित जीवन जी रहा है।

Comment by नाथ सोनांचली on August 26, 2018 at 1:36pm

आद0 शेख शहज़ाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। मेरी तो बस एकही दुआ है कि कभी मुल्क का बंटवारा हो ही न। बहरहाल सीख देती इस लघुकथा पर मेरी आपको बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
34 minutes ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
1 hour ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आयोजन में आपकी उपस्थिति और आपकी प्रस्तुति का स्वागत…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आप तो बिलासपुर जा कर वापस धमतरी आएँगे ही आएँगे. लेकिन मैं आभी विस्थापन के दौर से गुजर रहा…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आयोजन में आपकी उपस्थिति का स्वागत है.   एक बात समझ में नहीं आयी, कि…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, कुण्डलिया छंद में निबद्ध आपकी रचनाओं से आयोजन का स्वागत है. इस आधार…"
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुण्डलिया छंद  _____ सावन रिमझिम आ गया, सड़कें बनतीं ताल। पैदल लोगों का हुआ, बड़ा बुरा है…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुण्डलिया * पानी-पानी  हो  गया, जब आयी बरसात। सूरज बादल में छिपा, दिवस हुआ है रात।। दिवस…"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"रिमझिम-रिमझिम बारिशें, मधुर हुई सौगात।  टप - टप  बूंदें  आ  गिरी,  बादलों…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service