For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'भ्रूण-हत्या' - (लघुकथा)

डियर डायरी,
आज दिल बहुत अधिक व्यथित है। क्यों न आज अपनी भड़ास को यहीं शाब्दिक कर दूं! माता-पिता, पालक-परिवारजन, रिश्तेदार, शिक्षक, विद्यालय परिवार ही नहीं, ... नियोक्ता, सहकर्मी, अफ़सर, राजनेता और मंत्रियों से लेकर देशभक्त कहलाने का दंभ भरते औपचारिकतायें करते तथाकथित लगभग सभी नागरिक-सेवक मुझे कहीं न कहीं, कभी न कभी अपराधी, हत्यारे से सिद्ध होते प्रतीत होते हैं। आसमान छूने की चाहत रखने वालों के 'भ्रूण' रूपी सपनों, कौशल-प्रतिभाओं, स्ट्रेटजीज़, रणनीतियों को समझने-परखने के बजाय, सार्थक सहारा-मार्गदर्शक बनने के बजाय अपने ही मनमाफ़िक़ लक्ष्य साधने बावत उनका मानसिक, शारीरिक, भौतिक या आर्थिक शोषण करते हुए उस भ्रूण की हत्या ही कर डालते हैं देसी धार्मिक, सामाजिक, पारंपरिक या अत्याधुनिक फैशन रूपी 'नुस्ख़ों' या फिर ऐसी ही किसी 'शल्यचिकित्सा' से!


हो सकता है प्रियवर तुम भी उपरोक्त विचारों से पूर्ण असहमत या आंशिक सहमत ही होकर तुम भी मुझे नकारात्मकताधारी, हीनभावनायुक्त या कुण्ठित ही ठहराओ अन्य लोगों की तरह! लेकिन ख़ुदा क़सम, मैंने अपने बचपन, किशोरावस्था, युवावस्था अधेड़ावस्था से गुजरते हुए वर्तमान की अपनी वृद्धावस्था में भी ऐसी 'भ्रूण-हत्यायें' बहुत नज़दीक़ से देखीं हैं।

जिनके आसमां में उड़ने के मुख्य 'सपने', बहुत से त्याग और संघर्ष के बाद पूरे साकार हो भी जाते हैं, तो उनके दिल में जागते अन्य ख़ास पारिवारिक, सामाजिक और देशभक्ति के 'जज़्बे' 'भ्रूणावस्था' में ही 'क़त्ल' होते मैंने देखे हैं 'स्वार्थ', 'स्टेटस' और 'धनलोलुपता' के घातक औजारों से ... बेहद भावुक और संवेदनशील सलाहकार और मनोचिकित्सक के रूप में, लेखक और शिक्षक के रूप में!

यह कैसी तरक़्क़ी है? यह कैसा वैश्वीकरण है? यह कैसी वैज्ञानिक और तकनीकी तरक़्क़ी है जहां वनस्पति, जीव-जन्तुओं, मानव और मानवता जीवन की 'आरंभिक अवस्था' में ही 'येन-केन-प्रकारेण' 'शहीद' कर दी जाती है प्रयोगों, अनुसंधानों, दवाओं, मानव-जीव-अंग-तस्करी आदि के नाम या महिला-पुरुष समानता के नाम, महिला सशक्तीकरण के नाम! ओह, बहुत दुख हो रहा है 'तरक़्क़ी के केक' में मिश्रित 'अंडों और घटक-अवयवों' की 'शहादतों' को महसूस करते हुए! यदि यही प्रकृति और तरक़्क़ी का निर्धारित चक्र है, तो मैं भी किंकर्तव्यविमूढ़ ही हूं, बस! है न!


शेष कल सांझा करूंगी! शब्बा ख़ैर!


तुम्हारी ही,
मदर क्रिस्टीना
(चर्च होस्टल, केरल)


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 559

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 7, 2018 at 8:01pm

अनुमोदन, प्रोत्साहित करती टिपप्णियों के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया बबीता गुप्ता साहिबा,  आदरणीय समर कबीर साहिब और आदरणीय विजय निकोरे साहिब।

Comment by babitagupta on September 5, 2018 at 6:09pm

आधुनिकता की दौड़ में तकनीकी का दुरूपयोग करके किस दिशा में जा रहा इन्सान।बेहरीन रचना,हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय शेख सरजी।

Comment by vijay nikore on September 4, 2018 at 2:44pm

आपकी लघुकथा मुझको पढने को पास खींच लाती है। बधाई, आदरणीय शेख़ उस्मानी जी।

Comment by Samar kabeer on September 3, 2018 at 12:01pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
21 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service