For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पूछ रहा मुझसे स्वदेश

पूछ रहा मुझसे हिमालय,

पूछ रहा वैभव अशेष
पूछ रहा क्रांत गौरव भारत का,

पूछ रहा तपा भग्नावशेष
अनंत निधियाँ कहाँ गयी,

क्यों आज जल रहा तपोभूमि अवशेष;
कैसे लूटी महान सभ्यता प्राचीन,

क्यों लुप्तप्राय वीरोचित मंगल उपदेश !
कितने कलियों का अन्त हुआ भयावह,

कितने द्रोपदियों के खुले केश,
बता,कवि! कितनी मणियाँ लुटी,

कितनों के लुटे संसृति-चीर विशेष !
चढ़ तुंग शैल शिखरों से देख!

नहीं सौंदर्य बोध,विघटन के विविध क्लेश;
कहाँ विस्मृत धधकता स्फुलिंग दुर्धुर्ष,

कहाँ कुपित काल विकराल शेष!
ज्ञान-विज्ञान अनुसंधान कहाँ गये,

कहाँ लुप्त-विलीन अरूण ललाट श्लेष,
गंगा-यमुना-सिंधु की अमिय धार कहाँ,

उद्दाम प्रीति बलिदान लेश,
कहाँ गये तप-तेज दिव्य तुम्हारे ,

कहाँ प्रबुद्ध विभा तलवार वेष;
कहाँ अस्त ज्योतिर्मयी अनंत शिखायें,

बता खंडित-वीरान कैसे हुआ स्वदेश?
ओ वीर-व्रती तु कहाँ छुपे हो, पल भर भी कर ले दृगुन्मेष;
ज्वालाओं से दग्ध विकल उलझन में , तड़प रहा प्यारा स्वदेश !

- कवि आलोक पाण्डेय
वाराणसी ,भारतभूमि
(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 531

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आलोक पाण्डेय on September 8, 2018 at 8:27pm
आप सभी का बहुत बहुत आभार ...
अतीव आभार
जय हिन्द !
Comment by नाथ सोनांचली on September 5, 2018 at 6:28pm

आद0 आलोक पांडेय जी सादर अभिवादन। बढ़िया ओजपूर्ण रचना हुई है, बधाई स्वीकार कीजिये। वैसे इस रचना का शिल्प क्या था या कौन सी विधा में यह रचना है।

Comment by babitagupta on September 5, 2018 at 5:47pm

देश की दुर्दशा के कारणों को झकझोरती बेहतरीन रचना,हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय आलोक सरजी।

Comment by Samar kabeer on September 5, 2018 at 2:41pm

जनाब आलोक पाण्डेय जी आदाब,अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
15 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service