राजा चोर है - लघुकथा –
"आचार्य,इस चोर राजा के शासन से मुक्ति का कोई तो उपाय बताइये। प्रजा त्राहि त्राहि कर रही है।"
"वत्स, सर्वप्रथम तो अपनी वाणी को नियंत्रित करो।"
"गुरू जी, आपका आशय क्या है।"
"जब तक राजा का अपराध प्रमाणित नहीं होता, उसे सम्मान देना अनिवार्य है।"
"राजा का अपराध कैसे प्रमाणित होगा?"
"यह जाँच द्वारा सुनिश्चित करना दंडाधिकारी का कार्य है, जो कि विधि द्वारा स्थापित न्याय प्रणाली के तहत कार्य करता है।"
"दंडाधिकारी यह जाँच कार्य कब करेगा?"
"जब उसे यह कार्य करने का आदेश मिलेगा।"
"और उसे यह आदेश कौन देगा?"
"निश्चित तौर पर यह कार्य राजा का ही है।"
"तो क्या आचार्य, राजा अपने ही विरुद्ध जाँच का आदेश देगा।"
"मेरे विचार से तो राजा को इस जाँच हेतु अबिलंब आदेश देने चाहिये क्योंकि राजा को भी प्रजा के बीच अपनी छवि निष्कलंक रखनी चाहिये|"
"आचार्य, प्रजा के लिये राजा इतना विवेकशील होता तो इस तरह अनगिनत कर और अर्थ दंड नहीं थोपता।"
"सुशासन एवम सुरक्षा हेतु धन उपलब्ध कराना भी राजकार्य है।"
"परन्तु प्रजा से सुना गया है कि इस धन का अधिकाँश भाग राजा अपने ऐशो आराम पर व्यय करता है।"
"राजा कोई मामूली व्यक्ति तो है नहीं।राजा है तो राजा होने के सुख तो भोगेगा ही।"
"लेकिन आचार्य जी, समस्या तो अभी भी ज्यों की त्यों है।आपने मूल समस्या का निदान तो निकाला नहीं।"
"हमारी शासन प्रणाली की सबसे बड़ी जटिलता और खामी यही है कि राजा और उसके मंत्री परिषद में से वास्तविक चोर को खोजना आसान कार्य नहीं है।"
"आचार्य, तब क्या ऐसे ही हाथ पर हाथ धरे बैठ कर लूट खसोट होते देखते रहें।क्या शासन और प्रजा के प्रति हमारा कोई उत्तरदायित्व नहीं है।"
"वत्स इतने विचलित क्यों होते हो? राजा के ऊपर भी एक बड़ा राजा बैठा है। उसके न्याय में देर है, अंधेर नहीं।"
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
हार्दिक आभार आदरणीय डॉ विजय शंकर जी।
आदरणीय तेजवीर सिंह जी , बहुत हे गंभीर विषय पर लघु-कथा लिखने के लिए बधाई , सादर।
हार्दिक आभार आदरणीय डॉ आशुतोष मिश्रा जी।
आदरणीय तेजवीर जी अपनी बात को सहज सरल तरीके से पाठकों तक पहुंच देने में आपकी लघुकथाओं का जवाब नही है आपकी हर लघु कथा की तरह यह रचना भी बेहद पसंद आयी। हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर
हार्दिक आभार आदरणीय नीलम जी।
हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी।
आदरणीय विनय कुमार जी, बहुत ही अच्छी लघुकथा हुई है। प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें।
आ. भाई तेजबीर जी, सुंदर कथा हुयी है । हार्दिक बधाई ।
हार्दिक आभार आदरणीय मिर्ज़ा जावेद बेग जी।
हार्दिक बधाई जनाब तेजवीर सिंह जी ,
बहुत पसंद आया आपका ये तीॆखा कटाक्ष
सबसे बड़े राजा के यहां बेशक देर तो हो सकती है अंधेर नहीं
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