For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'बिसात पर नूरा-कुश्ती' (लघुकथा)

"हमने कई थी न कि देर है अंधेर नईं! सबके साथ सबके दिन फिर रये! सो अपने भी दिन फिरहें!" नदी किनारे बैठे हुए एक बाबा ने दूसरे साथी बाबाओं से किया अपना दावा दोहराते-सिद्ध करते हुए कहा - "अपने कित्ते बाबा अंतर्राष्ट्रीय हो गये, ध्यान और योग से उद्योग जम गओ, ... एक और बाबा हाईटेक हो गओ!"
"हओ! मंत्री बनत-बनत रह गये; लेकिन अब रस्ता खुल गओ अपने लाने! धंधा-पानी भी संग-संग चलो करहे अब राम-नाम जपने के साथ! दुनिया खों आयुर्वेद को भेद बहुतई अच्छी तरा समझ में आ गओ!"
"लेकिन गुरु, धरम-करम और तंत्र-मंत्र तो फिर भी करनईं पड़हे! भले वस्त्रालय वाले बाबा अपन की पोशाक और वेश बदलवा दें!" दूसरे बाबा की बात सुनकर अगले ने कहा - "हम तो कह रये, मंदिरों और आश्रमों में भव्य शोरूम की व्यवस्था हो चइये अब तो!"
"हओ, सही कह रये हो! आज की पीढ़ी की ई तरफ़ श्रद्धा भी बढ़ है और हमाओ व्यापार भी!"
"तुम औरें तो बहोत खुस हो रये हो, लेकिन हमें तो ऐसो समझ में आ रओ है कि सबरो विदेशन से भई डीलों को खेल हेगो; देश को कर्जा चुकावे काजें और लोगों को पटावे काजें!" एक चतुर से ज्ञानी बाबा ने ज़मीन पर हाथ मारकर कहा - "तुम्हें इत्तो भी समझ में नईं आ रओ है कि ऐसी तरक्की की आड़ में हमाओ धरम खतरे में डारो जा रओ है! धरम और बाबाओं को घसीट के व्यापार और राजनीति को ज़हरीलो बनाओ जा रओ है नई पीढ़ी को रुझान बदलवे काजें!"
ज्ञानी बाबा की बातें सुनकर बाकियों की चुप्पी और नदी के अंदर-बाहर के प्रदूषण की चीखें उन सबको देश के 'धार्मिक-सांस्कृतिक प्रदूषण' का आभास कराने ही लगीं थीं कि उनमें से एक लेपटॉपधारी युवा बाबा ने शांति भंग करते हुए कहा - "हमें तो ऐसो लग रओ है कि देश-विदेश के 'धनी धंधेबाज' शतरंज की 'बिसात' पे हमें मोहरा बनाके 'नूरा-कुश्ती' सी लड़ रये हैं; दौलत वास्ते, बस!"


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 524

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 7, 2018 at 8:41pm

रचना पर उपस्थित होकर अपनी राय देकर अनुमोदन और प्रोत्साहन हेतु सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय राज़ नवादवी साहिब।

Comment by राज़ नवादवी on November 7, 2018 at 10:36am

आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी साहब, आदाब. अच्छी लघु कथा हुई है, ख़ासकर स्थानीय भाषा में लिखे गए संवाद. मुबारकबाद पेश करता हूँ. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service