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कुछ मुक्तक

1.
आग सीने में मगर आँखों में पानी चाहिए
साथ गुस्से के मुहब्बत की रवानी चाहिए
हाथ सेवा भी करें और' उठ चलें ये वक्त पर
ज़ुल्मतों से जा भिड़े ऐसी जवानी चाहिए।

2.
शेर की औक़ात गीदड़ की कहानी देख लो
नब्ज में जमता नहीं किसका है पानी देख लो
दुम दबाना सीखता जो क्या करेगा वो भला
हौसले का नाम ही होता जवानी देख लो।

3.
समंदर भी गमों के पी जो जाएँ
बहुत ही ख़ास हैं जिनकी अदाएँ
कहाँ हैं मौन ये खामोशियाँ भी
ज़रा तू देख तो सुनकर सदाएँ।

4.
गुल ये गर गुलजार है सब आपके सदके
जिंदगी में प्यार है सब आप के सदके
आप ने थामी जो उँगली चल पड़े हैं हम
जीत है या हार है सब आपके सदके।

5.
बड़ी खूब ये आज महफ़िल सजाई
मजा आ गया बस कसम से ऐ भाई
रुकें फिर से चलने के ही तो लिए हम
मिलेंगे कभी यूँ ही अब दो विदाई।

मौलिक अप्रकाशित

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Comment

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Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 26, 2018 at 5:20pm

आदरणीय छोटे लाल जी सादर नमन सह आभार

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 26, 2018 at 5:20pm

आदरणीय समर कबीर जी सादर वन्दन, हौंसलाफ़ज़ाई व् मार्गदर्शन के लिए शुक्रिया

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 26, 2018 at 5:19pm

आदरणीय तेजवीर जी सादर नमन सह आभार

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 15, 2018 at 8:31am

आदरणीय राणा जी बढ़िया मुक्तक लिखने के लिए बहुत बहुत बधाई

Comment by Samar kabeer on November 14, 2018 at 12:01pm

जनाब सतविन्द्र कुमार जी आदाब,मुक्तक का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

शिल्प और गेयता पर अभी आपको समय देना होगा ।

Comment by TEJ VEER SINGH on November 13, 2018 at 10:54am

हार्दिक बधाई आदरणीय सतविंदर जी।बेहतरीन मुक्तक।

गुल ये गर गुलजार है सब आपके सदके
जिंदगी में प्यार है सब आप के सदके
आप ने थामी जो उँगली चल पड़े हैं हम 
जीत है या हार है सब आपके सदके।

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