2122 2122 2122 212
सोचता हूँ तुझमें कब बंदा नवाज़ी आएगी
तेरे तर्ज़े क़ौल में किस दिन गुदाज़ी आएगी //१
मैं अभी बच्चा हूँ मुझको छेड़ते हो किसलिए
मैं बड़ा भी होऊँगा, क़द में दराज़ी आएगी //२
देखता तो है पलट कर वो इशारों में अभी
मुस्कुराएगा वो कल, तब-ए- तराज़ी आएगी //३
तेरा ये हुस्ने मुजस्सम और मेरी दीवानगी
मिल गए हम दोनों फिर क्या क्या फराज़ी आएगी //४
सरगुज़श्ते ज़िंदगी फिर से लिखेंगे ऐ क़ज़ा
हाथ में फिर से हमारे हारी बाज़ी आएगी //५
मैं गिरफ़्तारे मुहब्बत हूँ, मुझे ठुकरा नहीं
उल्फ़ते बर हक़ पसे इश्के मजाज़ी आएगी //६
कर ख़ुदाई से मुहब्बत, खल्क भी होगी मुरीद
कृष्ण के जैसे तुझे भी नयनवाज़ी आएगी //७
मैं नहीं कहता ख़ुदा मिल जाएगा पर ये भी है
सर झुकाकर सज्दे में तब-ए-नियाज़ी आएगी //८
राज़ हम समझेंगे तू भी शायरे क़ामिल हुआ
जब तेरे तर्ज़े सुखन में जाँ गुदाज़ी आएगी //९
~ राज़ नवादवी
"मौलिक एवं अप्रकाशित"
तर्ज़े क़ौल- कथन कहने की शैली; गुदाज़ी- मांसल होना; दराज़ी- लम्बाई; सादासिफ़त-सरल स्वभाव का; तब-ए-तराज़ी- सहमति का स्वभाव, रजामंदी; फराज़ी- बुलंदी, ऊँचाई; उल्फ़ते बर हक़- सच की मुहब्बत; सरगुज़श्त- कहानी, वृत्तांत; क़ज़ा- मृत्यु; पसे इश्के मजाज़ी- सांसारिक/ भौतिक प्रेम के बाद; नयनवाज़ी - बाँसुरी बजाना; तब-ए-नियाज़ी- विनम्रता का स्वाभाव; कामिल- पूर्ण; शिराज़ी- पर्शिया का एक महान सूफ़ी शायर
Comment
आदरणीय लक्ष्मण धामी साहब, ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफज़ाई का दिल से शुक्रिया. सादर
आ. भाई राजनवादवी जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।
जी शुक्रिया! सादर
ठीक है ।
आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब. क्या ये मक़ता ठीक होगा? कृपया इस्लाह दें. सादर
राज़ हम समझेंगे तू भी शायरे क़ामिल हुआ
जब तेरे तर्ज़े सुखन में जाँ गुदाज़ी आएगी //९
जी जनाब समर कबीर साहब, मक़ते को बदलता हूँ और रेपोस्ट करता हूँ. सादर.
// मैंने शिराज़ के भी चलन में होने के बाईस ये आज़ादी आपसे दरख्वास्त की है.//
भाई, मैं तो आपको ग़लत शब्द इस्तेमाल करने की इजाज़त नहीं दे सकता,वैसे आप अपनी मर्ज़ी के मालिक हैं,आपको उचित लगता है तो बात अलग है ।
जी जनाब, मैं मानता हूँ आप बजा फरमा रहे हैं. आपके इल्मो हुनर के हम सभी क़ायल है. बस जैसे दीवार की जगह दिवार और दीवाने की जगह दिवाने भी राइज हैं, मैंने शिराज़ के भी चलन में होने के बाईस ये आज़ादी आपसे दरख्वास्त की है. सादर.
सहीह शब्द "शीराज़" ही है ।
इंग्लिश में 'शकील' को "shakil" लिखते हैं,लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम "शकिल" पढ़ें ।
मैं कोई भी बात करता हूँ तो पूरे वसूक़ से करता हूँ ।
जनाब राहुल डांगी जी आदाब,बहुत समय बाद ओबीओ पर आपको देख कर प्रसन्नता हुई ।
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