दिले बेक़रार को थोड़ा करार मिल जाए,
गुलशने वीरां को राहे बहार मिल जाए।
हट जाए ये फ़सुर्दगी मेरे दीदा-ए-मजहूर से,
मेरी माहपारा जो तेरा दीदार मिल जाए।
रख्शे-बेईना सा मन दौड़ता है इधर उधर,
है आरजू कि तुझ सा सवार मिल जाए।
खुश्क आँखों को तलाश अब नमी की है,
तेरे दीदा-ए-तर से अश्क उधार मिल जाए।
मुझे मिल जाए तुझ सी पैकरे-रअनाई ,
तुझे 'चंदन' सा कोई परस्तार मिल जाए।
*******************************************
फ़सुर्दगी - उदासी, दीदा ए मजहूर- वियोग से दुखी नेत्र
माहपारा - चाँद का टुकड़ा, रख्शे बेईना - बेलगाम घोड़ा
दीदा ए तर - सजल नेत्र, पैकरे रअनाई - सुंदरता की मूर्ति
परस्तार – उपासक
आशीष कुमार
स्वरचित / अप्रकाशित
Comment
आदरणीय समर कबीर जी नमस्कार
सराहना और उत्साहवर्धन के लिए आपका आभार
ये ग़ज़ल बहर पर नहीं लिखी है . बेबह्र ग़ज़ल का प्रयास किया है.
जनाब आशीष जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।
इस ग़ज़ल के अरकान लिख दें तो कुछ कहना हो ।
वाह बढ़िया आदरणीय..बहुतखूब...शब्दों के मायने लिख के आपने बहुत अच्छा किया..मापनी और लिख देते तो हम जैसो को और आसानी हो जाये..बधाई
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online