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नज़्म - नया साल
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उमंगों भरा हो ये मौसम सुहाना
नया साल लाये खुशी का तराना
सभी के दिलों में ये रौनक़ जगाए
गली गाँव बस्ती सभी मुस्कुराए
सफों में हमेशा रहे जो किनारे
नया साल उनकी भी किस्मत सँवारे
दिलों से कभी भी न मग़रूर हों हम
ख़ुदी के नशे में नहीं चूर हों हम
सभी को गले से लगाते चलें हम
जो रूठे हैं उनको मनाते चले हम
रहे प्यार का बोलबाला जहाँ में
सभी को मिले दो निवाला जहां में
सुलगती धरा की नई हो कहानी
खिलें प्यार के गुल मिले खाद पानी
गगन में रहे ये तिरंगा हमारा
इसे देखकर सर हो ऊँचा हमारा
-- क़मर जौनपुरी
मौलिक अप्रकाशित
Comment
अब ठीक है ।
बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब समर कबीर साहब इस्लाह के लिए।
वो रौनक़ जगाएं .. कहने से नए साल के लिए बहुवचन प्रयोग लग रहा है इसलिए उसको कुछ यूं बदलने की कोशिश किया हूँ.. आपकी राय का मुन्तज़िर हूँ।
सभी के दिलों में ये रौनक़ जगा दे
गली गाँव बस्ती में खुशियां सजा दे
जनाब क़मर जौनपुरी साहिब आदाब,नए साल की आमद पर अच्छी नज़्म लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
' सभी के दिलों में ये रौनक़ जगाए
गली गाँव बस्ती सभी मुस्कुराए'
इन पंक्तियों को यूँ कर लें:-
'सभी के दिलों में वो रौनक़ जगाएं
गली,गाँव, बस्ती सभी मुस्कुराएं'
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