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गज़ल -( ज़िंदगी है तो हसीं ख़्वाब सजाने होंगे)


2122, 1122, 1122, 22/112

ग़ज़ल
*****

ज़िन्दगी है तो हसीं ख़्वाब सजाने होंगे
यूँ तो रोने के हज़ारों ही बहाने होंगे//१

पास आएगा नहीं चल के हिमालय ख़ुद ही
ज़ौक़ से अपने क़दम तुमको बढ़ाने होंगे//२

रेंगना है जो ज़मीं पे तो किनारे बैठो
आसमां छूना है तो पंख लगाने होंगे//३

आरज़ू कर तो नई सुब्ह मचल जाएगी
रात के ग़म भी मगर थोड़े भुलाने होंगे//४

पास में घर ही बना लेने का मतलब क्या है
फ़ासले दिल में जो हैं जड़ से मिटाने होंगे//५

बो रहे हैं जो बबूलों को उन्हें रोको तुम
आम के पौधे भी तुमको ही लगाने होंगे//६

ये सियासत है यहां संत भी आ जाएं तो
झूठ के पेंच तो उनको भी लड़ाने होंगे/७

दूर मन्ज़िल है तेरी हाथ तेरा ख़ाली है
जाने की शर्त है सामां तो जुटाने होंगे//८

चाहते गर हो रहे प्यार का गुलशन आबाद
ऐ क़मर तुमको भी कुछ फूल उगाने होंगे//९

-- क़मर जौनपुरी

मौलिक अप्रकाशित

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Comment by Mahendra Kumar on January 4, 2019 at 7:34pm

पास में घर ही बना लेने का मतलब क्या है
फ़ासले दिल में जो हैं जड़ से मिटाने होंगे

अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय क़मर जौनपुरी जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Samar kabeer on January 2, 2019 at 12:36pm

जनाब क़मर जौनपुरी साहिब आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

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