221 1221 1221 122
बातिल को नज़र से ही गिरा क्यों नहीं देते
आईना उसे सच का दिखा क्यों नहीं देते//1
अब ऐब तुम्हारा तो नज़र आने लगा है
अफ़वाह नई कोई उड़ा क्यों नहीं देते//2
क्या बेच नहीं पा रहा अपनी अना को वो
अख़बार कोई उसको पढ़ा क्यों नहीं देते//3
महफ़िल में तमाशा न करो ऐ मेरे मुंसिफ़
क़ातिल तो वहीं पर है सज़ा क्यों नहीं देते//4
क्या प्यार सभी क़ौम से है उसको अभी तक
टीवी पे नई बहस दिखा क्यों नहीं…
Added by क़मर जौनपुरी on March 12, 2019 at 1:13pm — 8 Comments
2122 2122 2122 212
आंच आई गर कभी इस देश के अभिमान पर
बच्चा बच्चा मर मिटेगा अपने हिंदुस्तान पर//1
ये तिरंगा झुक नहीं सकता किसी के सामने
सर कटा देंगे हम अपना इसकी ऊंची शान पर//2
चाहे जितनी मुश्किलें आएं हमारी राह में
दाग़ हम लगने न देंगे देश के सम्मान पर//3
जीत लेंगे जंग हम दुश्मन लड़े चाहे जहां
ख़ौफ़ बरपा हम करेंगे शत्रु की मुस्कान पर//4
ज़ुल्म हम करते नहीं पर ज़ुल्म सहते भी नहीं
है भरोसा हमको अपने शांति के…
Added by क़मर जौनपुरी on March 7, 2019 at 10:30pm — 2 Comments
2122, 1122, 1122, 22/112
सुर्ख़रू शोख़ बहारों सा चहक जाओगे
इश्क़ के बाग़ में आओ तो गमक जाओगे
गर इरादे हुए हैं बर्फ़ से ख़ामोश तो क्या
गर्मी-ए-इश्क़ में आ जाओ दहक जाओगे
इश्क़ की ताब का अंदाज़ा भला है तुमको
इसकी ज़द में ही फ़क़त आओ लहक जाओगे
रौनक-ए-इश्क़ की ताक़त को न ललकारो तुम
ख़ूब ज़ाहिद हो मगर तुम भी बहक जाओगे
इश्क़ ख़ुश्बू है इसे बांधने की ज़िद न करो
इसमें घुल जाओ तो दुनिया में महक जाओगे
इश्क़ के रंग व…
ContinueAdded by क़मर जौनपुरी on January 23, 2019 at 5:30pm — 7 Comments
122 122 122 122
ग़ज़ल
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है दुनिया में कितनी रवानी न पूछो
महकती है कितनी कहानी न पूछो
इसे चाँद के पार जाना था मिलने
कहाँ रह गई ज़िंदगानी न पूछो
रहा दर बदर आशिक़ी का मैं मारा
गई बीत कैसे जवानी न पूछो
तेरे इश्क़ में मैंने गोता लगाया
मिली मुझको क्या क्या निशानी न पूछो
मुहब्बत की रस्में निभाते निभाते
रहा चश्म में कितना पानी न पूछो
कभी ग़म के बादल कभी सर्द आहें
पड़ीं कितनी बातें भुलानी न…
Added by क़मर जौनपुरी on January 19, 2019 at 4:07pm — 8 Comments
1212,1122, 1212, 22/112
यही सवाल मेरे ज़ेह्न में उभरता है
वो ज़िंदगी के लिए कैसे रोज़ मरता है//१
चली है सर्द हवा पूस के महीने में
किसान खेत में रातों को आह भरता है//२
वो धीरे धीरे मेरे दिल मे यूँ उतर आया
कि जैसे चाँद किसी झील में उतरता है//३
अक़ीदा जोड़ के देखो किसी की उल्फ़त से
जहान सारा नई शक्ल में निखरता है//४
नया ज़माना है फ़ैशन का दौर है यारों
चमन में भौंर भी तितली सा अब सँवरता…
Added by क़मर जौनपुरी on January 5, 2019 at 1:00pm — 2 Comments
2122 1212 22
ग़ज़ल
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जाम आंखों से अब पिला साक़ी
होश मेरे तू अब उड़ा साक़ी//१
ज़िन्दगी भर रहा हूँ मैं काफ़िर
अपना कलमा तू अब पढ़ा साक़ी//२
इल्म के बोझ से परेशां हूँ
इल्म सारे मेरे भुला साक़ी//३
रंग मेरा उतर गया अब तो
रंग अपना तू अब चढ़ा साक़ी//४
बेख़ुदी ज़ीस्त में समा जाए
जाम ऐसा कोई पिला साक़ी//५
ख़्वाब आएं तो सिर्फ तेरे हों
ख़्वाब से ख़्वाब तू मिला साक़ी//६
हो गया मैं फ़ना…
ContinueAdded by क़मर जौनपुरी on January 4, 2019 at 9:30pm — 6 Comments
1212, 1122, 1212,22/112
*****
चले भी आओ मेरे यार दिल बुलाता है
यूँ रूठकर भी भला अपना कोई जाता है//1
सज़ा भी दे दो मुझे अब मेरे गुनाहों की
उदास चेहरा तुम्हारा नहीं सुहाता है//२
उदास तुम जो हुए ज़िंदगी उदास हुई
कोई भी जश्न मुझे अब नहीं हंसाता है//३
तुम्हारे दम से ही हर सुब्ह मेरी ज़िंदा थी
हर एक शाम का मंज़र मुझे रुलाता है//४
नज़र फिराई जो तुमने वो एक लम्हे में
हर एक लम्हा ही ठोकर लगा के जाता…
Added by क़मर जौनपुरी on January 3, 2019 at 2:30pm — 3 Comments
1212 1122 1212 22/112
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सुहानी शाम का मंज़र अजीब होता है
भुला दिया था जिसे वो क़रीब होता है//१
वो पाक जाम मिटा दे जो प्यास सदियों की
किसी किसी के लबों को नसीब होता है//२
मिली जहाँ में जिसे भी दुआ ग़रीबों की
नहीं वो शख़्स कभी बदनसीब होता है//३
वफ़ा से दे न सका जो सिला वफ़ाओं का
वही जहान में सबसे ग़रीब होता है//४
करे मुआफ़ जो छोटी बड़ी ख़ताओं को
वही तो जीस्त में सच्चा हबीब होता है//५
क़लम की…
ContinueAdded by क़मर जौनपुरी on January 3, 2019 at 7:00am — 4 Comments
122, 122, 122 122
नज़्म - नया साल
*************
उमंगों भरा हो ये मौसम सुहाना
नया साल लाये खुशी का तराना
सभी के दिलों में ये रौनक़ जगाए
गली गाँव बस्ती सभी मुस्कुराए
सफों में हमेशा रहे जो किनारे
नया साल उनकी भी किस्मत सँवारे
दिलों से कभी भी न मग़रूर हों हम
ख़ुदी के नशे में नहीं चूर हों हम
सभी को गले से लगाते चलें हम
जो रूठे हैं उनको मनाते चले हम
रहे प्यार का बोलबाला जहाँ…
ContinueAdded by क़मर जौनपुरी on January 1, 2019 at 1:39pm — 3 Comments
2122, 1122, 1122, 22/112
ग़ज़ल
*****
ज़िन्दगी है तो हसीं ख़्वाब सजाने होंगे
यूँ तो रोने के हज़ारों ही बहाने होंगे//१
पास आएगा नहीं चल के हिमालय ख़ुद ही
ज़ौक़ से अपने क़दम तुमको बढ़ाने होंगे//२
रेंगना है जो ज़मीं पे तो किनारे बैठो
आसमां छूना है तो पंख लगाने होंगे//३
आरज़ू कर तो नई सुब्ह मचल जाएगी
रात के ग़म भी मगर थोड़े भुलाने होंगे//४
पास में घर ही बना लेने का मतलब क्या है
फ़ासले दिल में जो हैं जड़ से…
Added by क़मर जौनपुरी on January 1, 2019 at 1:34pm — 2 Comments
2122, 2122, 2122
ग़ज़ल
******
प्यार को वो आज़माना चाहता है
आसमाँ धरती पे लाना चाहता है//१
बांधकर जंज़ीर वो पंछी के पर में
इश्क़ का कलमा पढ़ाना चाहता है//२
बात दिल की जब ज़ुबाँ पे आ गई तो
और अब वो क्या छिपाना चाहता है//३
आंखों में उसकी जफ़ा दिखने लगी तो
मुझपे वो तोहमत लगाना चाहता है//४
इश्क़ में जलकर के मैं कुन्दन हुआ, वो
आग से मुझको डराना चाहता है//५
क़त्ल पहले कर दिया वो…
ContinueAdded by क़मर जौनपुरी on January 1, 2019 at 1:00pm — 5 Comments
बहरे मुतदारिक मुसद्दस सालिम
फ़ाइलुन, फ़ाइलुन, फ़ाइलुन
पूछते हो जो क्या चाहिए
सिर्फ माँ की दुआ चाहिए//१
ख़्वाब मुरझा गए हैं अगर
ख़्वाब की ही दवा चाहिए//२
ज़िन्दगी अब मुकम्मल हुई
तुम मिले और क्या चाहिए//३
आ गए हैं सितारे मगर
चाँद का आसरा चाहिए//४
क़ैद में ही रहीं तितलियां
अब उन्हें भी हवा चाहिए//५
शाइरी का गुमाँ मत करो
खूब ही तज्रिबा चाहिए//६
ज़ुल्म क्यों ख़त्म…
ContinueAdded by क़मर जौनपुरी on December 19, 2018 at 11:30am — 5 Comments
बहरे मज़ारिअ मुसमन अख़रब मकफूफ़ मकफूफ़ महज़ूफ़
मफ़ऊलु, फ़ाइलातु, मुफ़ाईलु, फ़ाइलुन
221, 2121, 1221, 212
ग़ज़ल
*****
उनकी नज़र ने मेरे सभी ग़म भुला दिए
पत्थर जिगर को प्यार का दरिया बना दिए//१
जैसे छुआ हो अब्र ने तपती ज़मीन को
छू कर वो मेरी रूह को शीतल बना दिए//२
ख़ुशबू उठी है क़ल्ब में सोंधी सी इश्क़ की
यादों ने उनके प्यार के छींटे गिरा दिए//३
हल्की सी बस ख़बर थी कि निकलेगा चाँद कल
स्वागत में उसके मैंने सितारे…
Added by क़मर जौनपुरी on December 15, 2018 at 11:00pm — 3 Comments
221-2121-1221-212
धज्जी उड़ी हुई है सभी इन्तज़ाम की
क़ानून की सिफ़त है बची सिर्फ नाम की//१
तुम थे हवा हवाई बचा के नज़र गए
मेरी तरफ़ से कब थी मनाही सलाम की।//२
दिल में जगा के टीस चले मुस्कुरा के तुम
अब दिल में धक लगी है तुम्हारे पयाम की//३
बौरा के जब बसन्ती हवा झूमती चले
कोयल सुनाए कूक तुम्हारे कलाम की//४
अब ज्ञान बाँटने का है ठेका उन्हें मिला
जो खा रहे हैं मुफ़्त में बिल्कुल हराम की/५
इक शाम जो…
ContinueAdded by क़मर जौनपुरी on December 6, 2018 at 10:31pm — 7 Comments
1222-1222-1222-1222
अगर दिल को अदब औ शायरी से प्यार हो जाए
तुम्हें भी इश्क की खुशबू का कुछ दीदार हो जाए //१
मचलते दिल की धड़कन में चुभे जब इश्क का कांटा ।
ख़ुदा से रूह का रिश्ता तभी बेदार हो जाये//२
खुदा की सारी रहमत इश्क़ के आँचल में रहती है
छुपा लो सर को आँचल में हसीं संसार हो जाए//३
फ़ना हो जाए दीवाना जुनूने इश्क़ की ख़ातिर
खुशी से चूमे सूली को ख़ुदा का यार हो जाए//४
ये दिल बेजान वीना की तरह खामोश रहता…
ContinueAdded by क़मर जौनपुरी on December 5, 2018 at 12:23am — 7 Comments
2122 1122 1122 22/112
छोड़ जाएगा यहीं सब ये ख़बर रखता है
फिर भी दौलत पे वो मर मर के नज़र रखता है//१
ज़िन्दगी प्यार के अमरित से ही होती है रवां
फिर भी नादान कलेजे में ज़हर रखता है //२
कितना मज़बूर है वो रोड पे भूखा बच्चा
एक रोटी के लिए कदमों में सर रखता है//३
आदमी कितना अकेला है भरी दुनिया में
कहने को भीड़ भरे शह्र में घर रखता है//४
पहले शैतान से डरने की ख़बर आती थी
आज इंसान ही इंसान से डर रखता…
Added by क़मर जौनपुरी on December 2, 2018 at 8:17am — 7 Comments
221--1221--1221--122
जब मुल्क़ में नफऱत का ये बाज़ार नहीं था
हर शख़्स लहू पीने को तैयार नहीं था //१
अब बाढ़ सी आई है शबे ग़म की नदी में
जब तुम न थे दिल में तो ये बेज़ार नहीं था//२
जो देश की सरहद पे सदा ख़ून बहाए
क्या देेेश की मिट्टी से उन्हें प्यार नहीं था//३
मिट जाएं सभी जंग में हिन्दू व मुसलमाँ
ऐसा तो मेरे हिन्द का त्यौहार नहीं था//४
जब मुल्क़ परेशां था फिरंगी के सितम से
मिल जुुल के लड़े मुल्क ये लाचार नहीं…
Added by क़मर जौनपुरी on December 2, 2018 at 7:30am — 5 Comments
2122 2122 2122 212
बज गई है डुगडुगी बस अब तमाशा देखिये
अब यहाँ फूटेगा बातों का बताशा देखिये//१
संग नेता के कुलाचें भर रही जो भीड़ ये
घर पहुंचकर इसके जीवन की हताशा देखिये //२
हर गली हर मोड़ पे भूखों की लंबी फ़ौज़ है…
ContinueAdded by क़मर जौनपुरी on November 28, 2018 at 8:00pm — 12 Comments
2122 1212 22/112
जब से हमदम सिपहसलार हुआ
सबसे ज़्यादा हमीं पे वार हुआ//1
मौत से एक बार भागा जो
मौत का रोज़ ही शिकार हुआ //2
दिल के आँगन में चाँद उतरा जब
दिल का आँगन सदाबहार हुआ//3
आज फिर आग में जली दुल्हन
आज फिर हिन्द शर्मसार हुआ//4
मैं तो खुद ही मिटा मुहब्बत में
कौन कहता है मैं शिकार हुआ// 5
दूर इक बर्फ की शिला था मैं
तेरे छूने से आबशार हुआ//6
बेक़रारी भले मिली…
ContinueAdded by क़मर जौनपुरी on November 28, 2018 at 1:00am — 2 Comments
2122 1212 22/112
माँ
***
माँ जिधर भी नज़र उठाती है
वो ज़मीं हँसती मुस्कुराती है//१
हर बला दूर ही ठहर जाए
माँ उसे डांट जब लगाती है //२
माँ के कदमों से दूर जाए जो
ज़िन्दगी फिर उसे रुलाती है //३
पास जब मौत आए बच्चों के
तब तो माँ जां पे खेल जाती है //४
जब कभी भूल हमसे हो जाए
माँ ही दामन में तब छुपाती है //५
भूख के साये में न हों बच्चे
खुद को माँ धूप में सुखाती है…
Added by क़मर जौनपुरी on November 25, 2018 at 1:08pm — 7 Comments
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