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गज़ल -8 ( खूब दिलबर है वो हँसके शिकार करता है)

2122 1122 1212 22

सीधे सीधे वो कलेजे पे वार करता है
खूब दिलबर है वो हँसके शिकार करता है //१

चाल होती है अज़ब उसकी मीठी बातों में
झूठी बातें वो बड़ी शानदार करता है //२

खूब हिस्सा जो दवाओं में खा रहा है वो
डॉक्टर अब तो दवा से बीमार करता है //३


जिस्म औ रूह के सुकून को मिटा डाला
और कहता है कि वो मुझसे प्यार करता है //४

ख़ून का प्यासा हुआ है ग़ज़ब का अब इंसां
ख़ून के रिश्ते को भी तार तार करता है //५

आज महफूज़ कहाँ बेटी अपने ही घर में
घर का वहशी ही उसे शर्मसार करता है // ६

-- क़मर जौनपुरी
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by क़मर जौनपुरी on November 27, 2018 at 8:26am

बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम समर कबीर साहब इस्लाह के लिए। 

Comment by Samar kabeer on November 26, 2018 at 12:44pm

वो सीधे सीधे कलेजे पे वार करता है

अजीब यार है हँसकर शिकार करता है

न जाने चाल है क्या उसके मीठे लहजे में

वो झूटी बातें बहुत शानदार करता है

सुकून रूह का मेरी मिटा दिया,उस पर

ये उसका दावा है,मुझसे वो प्यार करता है

लहू का प्यासा हुआ है ग़ज़ब का  ये इंसाँ 

कि दिल के रिश्ते भी अब तार तार करता है

नहीं है मुल्क में महफूज़ अब कोई बेटी

कि घर का वहशी ही उसका शिकार करता है

--

ये आपकी ग़ज़ल हो गई,तीसरे शैर का क़ाफिया ठीक नहीं,काट दिया,इसके अरकान हैं:-

मफ़ाइलुन फ़इलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन

1212      1122    1212       22

Comment by Samar kabeer on November 25, 2018 at 5:07pm

इस ग़ज़ल पर पुनः आता हूँ ।

Comment by क़मर जौनपुरी on November 25, 2018 at 1:20pm

बहुत बहुत शुक्रिया जनाब राहुल डांगी साहब। आपके सुझाव पर ग़ौर करते हुए मैं पुनः कोशिश करूँगा।

Comment by Rahul Dangi Panchal on November 25, 2018 at 12:35pm

बहुत सुन्दर भाव पिरोये है जनाब कमर साहब,  हार्दिक बधाई 

तीसरा व चौथा शे'र में बह्र कुछ लडखडा रही है,  क्रपया देख लिजिएगा ।

पांचवें शे'र में गजब का अब इंसा,  यह मिसरा आपकी थोडी मेहनत और मांग रहा है शायद 

Comment by क़मर जौनपुरी on November 24, 2018 at 9:01pm

बहुत बहुत शुक्रिया जनाब नरेन्द्रसिंह चौहान जी हौसला आफ़ज़ाई के लिए।

Comment by narendrasinh chauhan on November 24, 2018 at 3:08pm

बहोत सुन्दर 

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