For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उस देश धरा पर जन्म लिया, मकरंद सुप्रीति जहाँ छलके।
वन पेड़ पहाड़ व फूल कली, हर वक़्त जहाँ चमके दमके।
वसुधा यह एक कुटुम्ब, जहाँ, सबके मन भाव यही झलके
सतरंग भरा नभ है जिसका, उड़ते खग खूब जहाँ खुलके।।1।।

अरि से न कभी हम हैं डरते, डरते जयचंद विभीषण से।
मुख से हम जो कहते करते, डिगते न कभी अपने प्रण से
गर लाल विलोचन को कर दें, तब दुश्मन भाग पड़े रण से
यदि आँख तरेर दिया अरि ने, हम नष्ट करें उनको गण से।।2।।

हम काल बनें विकराल बनें, निकलें जब भी अरिमर्दन को।
रण में अरि देख भुजा फड़के, कर दें क्षण में हत दुर्जन को।
फन काढ़ खड़े रण में अरि जो, पल में कुचलें उनके फन को।
हम शावक विघ्न मिटा पथ के, चरितार्थ करें निज जीवन को।।3।।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 494

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on January 18, 2019 at 9:43am

आद0 फूल सिंह जी सादर अभिवादन। रचना पसंद करने के लिए कोटिश आभार

Comment by PHOOL SINGH on January 10, 2019 at 12:03pm

"सुरेंदर भाई " बहुत अच्छा वीररस के ओतप्रोत रचना के लिए बधाई स्वीकारें

Comment by नाथ सोनांचली on January 9, 2019 at 2:12pm

आद0 विजय निकोर जी सादर आभार

Comment by vijay nikore on January 9, 2019 at 1:13pm

अति सुन्दर प्रस्तुति। बधाई श्री सुरेन्द्र नाथ सिंह जी

Comment by नाथ सोनांचली on January 7, 2019 at 3:39pm

आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम। आपका आशीष पाकर रचना धन्य हुई, सादर आभार।

शिल्प भी लिखने का पूरा प्रयास करूँगा,, चाहता भी हूँ पर कभी कभी पोस्ट करते समय भूल जाता हूँ। वैसे इसका शिल्प

सगण×8, चार सगण के बाद यति और चारों पंक्तियों में तुकांतता समान।

Comment by Samar kabeer on January 7, 2019 at 11:57am

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब, दुर्मिल सवैया छन्द में अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

जब कोई छन्द रचना पोस्ट करें तो उसके साथ उसका विधान भी लिख दिया करें,जिससे नए सीखने वालों को आसानी हो ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service