For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नववर्ष की शुभकामनाएं प्रेषित करती कविता (पञ्चचामर छंद)

नवीन वर्ष को लिए, नया प्रभात आ गया
प्रभा सुनीति की दिखी, विराट हर्ष छा गया
विचार रूढ़ त्याग के, जगी नवीन चेतना
प्रसार सौख्य का करो, रहे कहीं न वेदना।।1।।

मिटे कि अंधकार ये, मशाल प्यार की जले
न क्लेश हो न द्वेष हो, हरेक से मिलो गले
प्रबुद्ध-बुद्ध हों सभी, न हो सुषुप्त भावना
हँसी खुशी रहें सदा, यही 'सुरेन्द्र' कामना।।2।।

न लक्ष्य न्यून हो कभी, सही दिशा प्रमाण हो
न पाँव सत्य से डिगें, अधोमुखी न प्राण हो
विवेकशीलता लिए, विकार से कटें रहें
सुनीति रीति शान में, महानता रटें रहें।।3।।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 849

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on January 6, 2019 at 1:09pm

आद0 केवल प्रसाद सत्यम जी सादर अभिवादन,, आपकी प्रतिक्रिया और सुझावों के लिए हृदय तल से आभार

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on January 4, 2019 at 11:33pm

आदरणीय सुरेन्द्र भाई जी,  मनोहर प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभकामनाएं.  रचना को अभी और समय दीजिए.

नवीन वर्ष को लिए, नया प्रभात आ गया
प्रभा सुनीति की दिखी, विराट हर्ष छा गया
विचार रूढ़ त्याग के जगी नवीन चेतना
प्रसार सौख्य का करो, रहे कहीं न वेदना।।1।।...  वाह

मिटे अँधेर भ्रांति की, मशाल प्यार की जले  .......   मिटे कि अन्धकार ये,
न क्लेश हो न द्वेष हो, हरेक से मिलो गले
चलायमान हों सभी, न हो सुषुप्त भावना................ प्रबुद्ध-बुद्ध हों सभी,
हँसी खुशी रहें सदा, यही 'सुरेन्द्र' कामना।।2।।

न लक्ष्य न्यून हो कभी, सदा समृद्ध ज्ञान हो,   ......सही दिशा प्रमाण हो.
न पाँव सत्य से डिगें, अधोमुखी न प्राण हो 
विवेकशील आप हों, विकारहीनता रहे  ............. विवेकशीलता लिए, विकार से कटें रहें.


सुरीति नीति ज्ञान की, कभी न दीनता रहे।।3।।.. सुनीति रीति शान में, महानता रटें रहें.

शुभ शुभ

Comment by नाथ सोनांचली on January 3, 2019 at 3:42pm

आद0 तस्दीक अहमद खान जी सादर अभिवादन। आपकी खूबसूरत प्रतिक्रिया से बल मिला,, आभार आपका

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 3, 2019 at 12:05pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ साहिब, नए साल पर सुंदर रचना हुई है , मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l 

Comment by नाथ सोनांचली on January 3, 2019 at 7:39am

आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। यह ग़ज़ल नहीं है बन्धु। आपकी प्रतिक्रिया के लिए आभार

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 2, 2019 at 7:27pm

आ. भाई सुरेन्द्र नाथ जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by नाथ सोनांचली on January 2, 2019 at 3:12pm

आद0 समर कबीर साहब सादर प्रणाम। आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया का मुझे रचना डालने के बाद से ही प्रतीक्षा रहती है,, क्योकि आपकी बारीक नजर् और अच्छी इस्लाह से रचना में जो कुछ अधूरापन रहता है वह पूर्ण हो जाता है। आपकी प्रतिक्रिया पुरस्कार स्वरूप होती है। आभार व्यक्त करता हूँ आपका। सादर

Comment by Samar kabeer on January 2, 2019 at 2:49pm

जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आदाब,नववर्ष पर अच्छी रचना हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service