(ताटंक छन्द)
इज्जत देना जब सीखोगे, इज्जत खुद भी पाओगे,
नेक राह पर चलकर देखो, कितना सबको भाओगे।
शब्द बाँधते हर रिश्ते को, शब्द तोड़ते नातों को।
मधुर भाव जो मन में पनपे, बहरा समझे बातों को।
तनय सुता वनिता माता सब,भूखे प्रेम के होते हैं,
कड़वाहट से व्यथित होय ये, आँसू पीकर सोते हैं।
इज्जत की रोटी जो खाते, सीना ताने जीते हैं,
नींद चैन की उनको आती, अमृत सम जल पीते हैं।
नारी का गहना है इज्जत, भावों की वह माता है,
शब्द प्रेम के सुनकर उसका , हृदय पिघल ही जाता है।
अपनों की इज्जत सब करना, अपने अपने होते हैं,
अपनों को जो ठोकर मारे, अपनी इज्जत खोते हैं।
जो बोयेंगे खुद हम पायें, फिर कैसी नादानी है,
सबकी इज्जत करनी हमको, ये अपनी मनमानी है।
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
बढ़िया रचना है आदरणीया सुचिसंदीप जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. आदरणीय समर कबीर सर की बात से मैं भी सहमत हूँ. सादर.
आदरणीय भाई समर कबीर जी आपका आशीर्वाद और मार्गदर्शन पाकर धन्य हुई। बहुत बहुत आभार आपका।
बहना सुचिसंदीप अग्रवाल जी आदाब,ताटंक छन्द का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।
'कड़वाहट से व्यथित होय ये, आँसू पीकर सोते हैं'
'अपनों को जो ठोकर मारे, अपनी इज्जत खोते हैं'
इस पंक्ति में 'मारे' को "मारें" कर लें ।
'जो बोयेंगे खुद हम पायें, फिर कैसी नादानी है,
सबकी इज्जत करनी हमको, ये अपनी मनमानी है'
इन पंक्तियों को अगर यूँ कर लें तो गेयता बढ़ जाएगी:-
"जो बोयेंगे वो पायेंगे, फिर कैसी नादानी है
सबकी इज़्ज़त करना हमको,बात यही समझानी है'
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online