मफ़ाइलुन फ़इलातुन मफ़ाइलुन फ़ेलुन
1212 1122 1212 22
ग़ज़ल
उठा है ज़ह्न में सबके सवाल,किसकी है
तू जिस पे नाच रहा है वो ताल किसकी है
खड़े हुए हैं सर-ए-राह आइना लेकर
हमारे सामने आए मजाल किसकी है
ज़रा सा ग़ौर करोगे तो जान जाओगे
वतन को आग लगाने की चाल किसकी है
हमें तू बेवफ़ा कहता है ,ये तो देख ज़रा
लबों पे सबके वफ़ा की मिसाल किसकी है
कभी तो सोच,कभी तो ख़याल कर इसका
तू जिसके पीछे है महफूज़,ढाल किसकी है
"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
हार्दिक बधाई आदरणीय समर क़बीर साहब जी।लाज़वाब गज़ल।
ज़रा सा ग़ौर करोगे तो जान जाओगे
वतन को आग लगाने की चाल किसकी है
समर कबीर साहब आदाब अर्ज़ है, बहुत उम्दा वाह वाह
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