For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं वक्त कहाँ कब रुकता हूँ .

22-22-22-22

मैं कुछ और कहाँ कहता हूँ।।
गैरों से लिपटा - अपना हूँ।।

वैमनष्यता न सर उठा पाए।
दुश्मन की तरहा रहता हूँ।।

दरपण भी छू सकता है क्या।
बस ये ऐसे ही - पूछा हूँ।

कलियाँ खुशबू बिखरायेंगी।
मैं वक़्त कहाँ कब रुकता हूँ।।

आमोद रखो, बिश्वास रखो।
पग पग जीवन में अच्छा हूँ।।


..अमोद बिंदौरी / मौलिक अप्रकाशित

Views: 426

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on March 17, 2019 at 4:54pm

आद0 आमोद श्रीवास्तव जी सादर अभिवादन। बढ़िया प्रयास है, बधाई स्वीकार कीजिये।

Comment by Samar kabeer on March 12, 2019 at 2:20pm

"ग़ज़ल की कक्षा" में जनाब अजय तिवारी साहिब का आलेख "मीर द्वारा इस्तेमाल की गई बहरैं" का अध्यन करें ।

वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि 22 को 112 ले सकते हैं,और इस बह्र में गेयता का विशेष ध्यान रखना पड़ता है ।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on March 12, 2019 at 1:42pm

कलियाँ खुशबू बिखरायेगी।

मैं समय का बहता दरया हूँ।।..(मुझे इसमें रब्त भी नही लगा और  समय का' भी भ्रमित कर रहा था

आमोद लिये बिस्वास बढ़ो...इसमें द-लि.. क्या 2 होगा??

पग -पग जीवन में अच्छा हूँ।

Comment by amod shrivastav (bindouri) on March 12, 2019 at 1:27pm

आ समर दादा प्रणाम ..

दादा इन बहरों की एक जानकारी चाहिए थी ..क्या इन में मात्रा भार गिर सकता है । 

जैसे मूलतः ..22 को 112, या 211 में जोड़ कर पूरा होता है ।

मैं यहाँ भ्रमित हो गया 

"मैं समय का' बहता दरिया हूँ " ये "समयक "

 इसी तरह ... वैमन स्यता'न...

कृपया इस पर मर्गदर्शन दीजियेगा

Comment by Samar kabeer on March 12, 2019 at 12:23pm

जनाब आमोद बिंदौरी जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'वैमनष्यता न सर उठा पाए।
दुश्मन की तरहा रहता हूँ'

ये शैर बह्र में नहीं,देखिये ।

'मैं वक़्त कहाँ कब रुकता हूँ'

ये मिसरा लय में नहीं है ।

'आमोद रखो, बिश्वास रखो'

ये मिसरा लय में नहीं है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"स्वागतम"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"जी बहुत शुक्रिया आदरणीय चेतन प्रकाश जी "
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.लक्ष्मण सिंह मुसाफिर साहब,  अच्छी ग़ज़ल हुई, और बेहतर निखार सकते आप । लेकिन  आ.श्री…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.मिथिलेश वामनकर साहब,  अतिशय आभार आपका, प्रोत्साहन हेतु !"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"देर आयद दुरुस्त आयद,  आ.नीलेश नूर साहब,  मुशायर की रौनक  लौट आयी। बहुत अच्छी ग़ज़ल…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
" ,आ, नीलेशजी कुल मिलाकर बहुत बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई,  जनाब!"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।  गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। भाई तिलकराज जी द्वार…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए आभार।…"
7 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तितलियों पर अपने खूब पकड़ा है। इस पर मेरा ध्यान नहीं गया। "
8 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार बहुत- बहुत शुक्रिया आपका आपने वक़्त निकाला विशेष बधाई के लिए भी…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service